इसलिए अदरक के सभी गुण इसमें होते हैं। सोंठ से 'सौभाग्य सोंठी पाक' बनाया जाता है और प्रसूता स्त्रियों को कोई विकार न हो इसके लिए विशेष रूप से खिलाया जाता है। प्रसूता स्त्रियों के लिए यह पाक अत्यंत गुणकारी श्रेष्ठ औषधि है। सोंठ में अनेक उत्तम गुण विद्यमान हैं। इसीलिए उसे 'विश्व भैषज' और सोंठ रुचि उत्पन्न करने वाली आमवात का नाश करने वाली, पाचन, तीखी, हल्की, स्निग्ध और उष्ण-गर्म है। यह पाक में मधुर, कफ, वायु तथा मलबंध को तोड़नेवाली, वीर्यवर्धक और स्वर को अच्छा करने वाली है। यह उल्टी, सांस, शूल, खांसी, हृदय रोग, सूजन, अर्श, अफरा और वायु को दूर करती है।
अच्छी किस्म की सोंठ का चूर्ण बत्तीस तोला, घी अस्सी तोला, गाय का दूध दो सौ छप्पन तोला और शर्करा दो सौ तोला एकत्र कर पाक बनाइए। उसमें सोंठ, काली मिर्च, पीपर, दालचीनी, इलायची और तमालपत्र, प्रत्येक वस्तु चार-चार तोला लेकर चूर्ण बनाइए और पाक में डालिए। यह पाक कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में भरकर रखिए। इस पाक को 'सौभाग्य सोंठी पाक' या 'सोठी रसायन' कहते है। रसायन गुणवाला यह पाक खाने से आमवात मिटता है। देह की कांति, धातु, बल तथा आयुष्य बढ़ता है। यह पाक स्त्रियों के लिए अति उत्तम है।
सोंठ के चूर्ण में गुड़ और थोड़ा-सा घी डालकर उसके तीन-चार तोला भर लड्डू सुबह खाने से वायु और वर्षाकालीन जुकाम दूर होता है। बारिश में सतत भीगते-भीगते काम करने वाले किसानों और खेती के काम में लगे मजदूरों के लिए सोंठ का यह उपयोग अत्यंत लाभदायक है। इससे शारीरिक शक्ति व फुर्ती बनी रहती है।
सोंठ का चूर्ण एक तोला, गुड़ एक तोला और एक चम्मच घी को एकत्र कर उसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर आग पर रखिए और रबड़ी जैसा बनाइए। रोज सुबह यह रबड़ी चाटने से तीन दिन में सर्दी-जुकाम वगैरह मिटता है।
सोंठ का काढा बनाकर पीने से देह की कांति बढ़ती है, चित्त प्रसन्न रहता है और शरीर पुष्ट होता है।
40 तोला उबलते पानी में ढाई तोला सोंठ का चूर्ण डालकर, उसे बीस-पच्चीस मिनट तक ढंककर रख दीजिए। ठंडा होने पर वस्त्र से छान लीजिए। इसमें से रोज ढाई से पांच तोला सेवन करने से अफरा और उदरशूल मिटते हैं। इस पानी में मिलाकर दिन में तीन बार पीने से अपच, खराश, डकारें और पेट में जमा वायु दूर होता है।
सोंठ, छोटी हरड़ और नागरमोथा का चूर्ण समभाग लेकर, इसमें दुगुना गुड़ डालकर, चने के बराबर गोलियां बनाकर, मुंह में रखकर उसका रस चूसने से खांसी और दमा मिटते हैं।
तीन माशा सोंठ को बकरी के दूध में पीसकर खिलाने से सगर्भा स्त्री का विषम ज्वर मिटता है।
सोंठ और जवाखार समभाग लेकर घी के साथ चाटकर, ऊपर से गर्म पानी पीने से अजीर्ण मिटता है और भूख खुलती है।
सोंठ और गुड़ को पानी में मिलाकर नाक में उसकी बूंदे डालने से हिचकी दूर होती है।
सोंठ और गुड़ खाने से पीलिया मिटता है।
सोंठ, आंवले और मिसरी का बारीक चूर्ण बनाकर सेवन करने से अम्लपित्त मिटता है।
सोंठ के रस में हल्दी और गुड़ डालकर पीने से धातुस्राव रुकता है, पेशाब में जाने वाली धातु भी बंद होती है।
आधा तोला सोंठ का चूर्ण बकरी या गाय के आधा सेर दूध के साथ पीने से, वेदनायुक्त पेशाब के साथ खून निकलता हो तो वेदना और रक्तस्राव में लाभ होता है।
सोंठ और एरंड मूल का रस बनाकर उसमें पीसी हुई हींग और काला नमक डालकर पीने से वातशूल मिटता है।
सोंठ और गोखरू का जूस बनाकर, रोज सुबह-शाम पीने से कटिशूल, संधिवात और अजीर्ण मिटता है।
सोंठ, जीरा और सेंधा नमक का चूर्ण ताजा दही में, मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद पीने से पुराने अतिसार का मल बंधता है।
सोंठ आधा तोला और पुराना गुड़ आधा तोला मसलकर रोज प्रात: खाने से अजीर्ण, आमातिसार और गैस मिटती है।
सोंठ और खसखस के मूल को पानी में उबालकर पीने से दस्त बंद होते है।
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