हम क्यों मनाते हैं बाल दिवस ? | Happy Children Day 2017

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Monday, 17 July 2017

गर्भावस्था के दौरान अपनाएं यह डाइट चार्ट:

गर्भावस्था के दौरान अपने डायट चार्ट में जरूरी पोषक तत्वों को करें शामिल |
● गर्भवती होने के बाद नियमित व्यायाम अवश्य करें, इससे फिटनेस बनी रहती है।
● प्रेग्नेंट महिला को गर्भधारण के बाद 300 अतिरिक्त कैलोरी की होती है जरूरत।
● अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल कीजिए।
● ज्यादा भार न उठायें, ज्यादा काम करने से बचें और भरपूर आराम जरूर करें।


Diet chart during pregnancy month by month in Hindi:


● गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए आम तौर पर मिले-जुले अनुभव लेकर आता है, कभी उन्हें आने वाले शिशु की चिंता सताती है। इस दौरान आपको होने वाले बच्चे का भी ध्यान रखना पड़ता है। यदि आपने खान-पान या नियमित होने वाली जांच में अनियमितता बरती तो यह आप और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो |

● तो कभी यह अनुभव उनके लिए सुखदायी होता है। चिकित्सकों के परामर्श अनुसार महिलाएं आजकल आराम पर भी ध्यान देती हैं, लेकिन व्यायाम पर ध्यान नहीं देतीं। 

स्वस्थ व सुरक्षित गर्भावस्था में व्यायाम भी उतना ही आवश्यखक है, जितनी दूसरी बातें। आइए हम आपको उचित और अनुचित के बारे में जानकारी दे रहे हैं।


गर्भावस्था में देखभाल:

1) व्यायाम करें :
गर्भवती होने के बाद यदि आप नियमित व्यायाम कर रही हैं तो इससे आप न केवल फिट रहेंगी बल्कि सामान्य प्रसव की संभावना भी बढ़ेगी। इसलिए नियमित व्यायाम अवश्य करें, ज्यादा थकाऊ व्यायाम की जगह हल्के फुल्के व्यायाम ही करें। सैर करें, यह आसान भी है।

यदि आप गर्भावस्था से पहले से ही व्यायाम करती आ रही हैं, तो चिकित्सक और ट्रेनर से संपर्क के बाद ही व्यायाम की शुरूवात करें। व्यायाम करने से रक्त संचार सुचारु होता है, 

अंतिम चरण तक चलते-फिरने, उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती, कब्ज़ की शिकायत दूर होती है और थकान भी कम होती है।

2) आपका खानपान :-

गर्भवती महिला को लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। इस दौरान आपको पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, इसलिए अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल करें। यदि सुबह आपका जी मचलता है, तो पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खायें और अच्छी नींद लें। सुबह उठने के साथ ही नाश्ता ज़रूर करें।

3) इन बातों पर रखें नज़र :- 

● सुबह अचानक बिस्तर से ना उठें।
● आपकी त्वचा अत्यंत रूखी हो रही है, तो माश्चराइज़र का प्रयोग करें।
● कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत रहती है, ऐसा होने पर सोने से पहले शरीर की मालिश करें।
● ज्यादा भार न उठायें, काम करने से बचें और आराम भरपूर करें।

गर्भावस्था के दौरान सर्वश्रेष्ठ भोजन:

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Saturday, 18 February 2017

बच्चा चाहती हैं सुंदर और स्वस्थ तो जरूर खाएं नारियल:

नारियल हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुता अच्‍छा माना जाता है। चाहे वह कच्‍चा हो पक्‍का हो या फिर वह नारियल का पानी ही क्‍यों न हो, इसके सेवन कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। नारियल पानी में फाइबर, मैगनीशियम, कैल्‍शिम, विटामिन सी आदि बहुत सारे पोषक तत्‍व होते हैं। 

कई महिलाओं में यह गलत धारणा है कि गर्भावस्‍था के दौरान गर्भवती महिलाओं को नारियल पानी नुक्‍सान कर सकता है। पर अगर आप गर्भवती हैं तो आपको खूब सारा नारियल खाना चाहिए। आइये जानते हैं कि नारियल खाने के फायदे क्‍या-क्‍या हैं।

नारियल के फायदे:

1.गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं के अंदर कई हारमोनल बदलाव आते हैं जिनसे उन्‍हें बहुत सारी तकलीफ तथा परेशानी का समना करना पड़ता है। पर नारियल खाने से महिलाएं इन समस्‍याओं और परेशानी को आराम से रोक सकती हैं।

2. नारियल गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि नारियल में गर्भवती महिला और उसके बच्चे को पौष्टिकता देने की क्षमता है।

3.नारियल पानी पीने से पेशाब खुल कर होती है जिससे गर्भवती महिलाओं को मूत्र से संबधित सक्रंमण नहीं होगा। सिर्फ इतना ही नहीं पानी पीने से किडनी में स्‍टोन की भी कोई गुंजाइश नहीं होती। नारियल का पानी पीने से आपको पेशाब के दौरान होने वाली जलन से भी मुक्ति मिलेगी।

4.नारियल पानी कब्ज में राहत देता है, आंत से संबधित परेशानियों में सुधार करता है और पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। नारियल पानी पीने के लिए उन लोगों को सलाह दी जाती है जो अल्‍सर या फिर एसिडिटी से पीडित हैं।

5.नारियरल में बिल्‍कुल भी वसा नहीं होता तथा यह जीरो कोलेस्ट्रोल लिए होता है। इसके सेवन से महिलाओं में एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद करता है जो कि अच्छा माना जाता है। साथ ही इसके पानी पीने से गर्भवती महिलाओं में कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रि‍त करने में मदद करता है।

6.गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को थकान और डीहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है जिसे नारियल के सेवन से दूर किया जा सकता है।

7.नारियल के सेवन से इम्‍यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान एचआईवी, फ्लू, दाद इत्यादि से नारियल के सेवन से बचा जा सकता है। 

दरअसल, नारियल में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल तत्व पाए जाते हैं जो कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की रक्षा कर सकते हैं।

Friday, 17 February 2017

Home remedies for cough cold:

सर्दी, खांसी और जुखाम ये एक ही परिवार के रोग है और इनकी औषोधी भी लगभग एक है.
* आपको आसान से नुस्खे यहाँ बता रहा हूँ जिसे आप घर पे बनाये और एलोपेथी दवाओं के साइड इफेक्ट से भी बचे .

आयुर्वेदिक औषधियां घर पे बनाये :-

* ये एक अच्छी दवाई, खांसी ‪जुकाम‬ एलर्जी सर्दी आदि के लिए जिसे आप घर पर बना सकते है इसके लिए आपको चाहिए तुलसी के पत्ते, तना और बीज तीनो का कुल वजन 50 ग्राम इसके लिए आप तुलसी के ऊपर से तोड ले इसमें बीज तना और तुलसी के पत्ते तीनो आ जाएंगे |


इनको एक बरतन में डाल कर 500 मिलि पानी डाल ले और इसमें 100 ग्राम अदरक और 20 ग्राम काली मिर्च दोनो को पीस कर डाले और अच्छे से उबाल कर काढे और जब पानी 100 ग्राम रह जाए तो इसे छान कर किसी कांच की बोतल में डाल कर रखे इसमे थोडा सा शहद मिला कर आप इसके दो चम्मच ले सकते है दिन में 3 बार | 

* जुकाम के लिए 2 चम्मच अजवायन को तवे पर हल्का भूने और फ़िर उसे एक रूमाल या कपडे में बांध ले और पोटली बना ले उस पोटली को नाक से सूंघे और सो जाए.

* खांसी के लिए रोज दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच सैंधा नमक डाल कर गरारे करे सुबह उठ कर दोपहर को और फ़िर रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद में थोडी सी पीसी हुई काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाए और उसे चाटे अगर खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत काली मिर्च के दाने और थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आपको आराम मिलेगा.

*गले की खराश, या गले मे किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन हो, गला बैठ गया है, पानी पिने मे भी तकलीफ हो रही है, लार निकलने मे भी तकलीफ हो रही है, आवाज भरी हो गयी है .. इन सबके लिए एक ग्लास देशी गाय का दूध, एक चम्मच देशी गाय का घी और चौथाई चम्मच हल्दी को मिलाके कुछ देर उबालना है फिर उसको सिप सिप करके चाय की तरह पीना है शाम को एकबार | 

एक और प्रस्तुत है खांसी की अचूक दवा:-
* कई बार खांसते-खांसते हम परेशान हो जाते हैं। दवाएं काम नहीं करती हैं।
* गर्भवती महिलाओं के लिए दो एलोपैथिक दवाएं लेना निराप्रद नहीं माना गया है।
* वहीं शल्य-चिकित्सा कराने वाले रोगियों के लिए ज्यादा देर तक खांसना बिल्कुल ही सेहतमंद नहीं होता है। गले में खरास किच-किच जैसी कुछ होती है।
* ऐसे में एक आसान औषधि, जो हमने स्वयं ही अत्यंत विषम परिस्थिति में आजमाया था आप अगर मुश्किल में हैं तो आजमाइये और अपना अनुभव जरूर बताएं।
दालचीनी- थोड़ी मात्रा( लगभग एक ग्राम )
शहद- आधा चम्मच
प्रयोग विधि;--
* दालचीनी को पूरी तरह पीसकर पाउडर बना लें। बायीं हाथ की हथेली पर करीब आधा चम्मच शहद लेकर उसके ऊपर दालचीनी (दो चुटकी भर) डालें और दायें हाथ की अंगुली से अच्छी तरह मिलाएं और उसे चाट जाएं।

परिणाम;--
* दो से तीन मिनट में खांसी जाती रहेगी। दोबारा खांसी हो तो इस प्रयोग को दोबारा आजमा सकते हैं।
* अगर दही खाते है तो उसे बंद करदे और रात को सोते समय दूध न पिए
* तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं।
* हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।
* पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है।

आयुर्वेदिक उपचार खांसी जुकाम एलर्जी सर्दी:

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Friday, 25 November 2016

कई ऐसी माएं हैं जो कम दूध होने की वजह से अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती हैं। पारंपरिक रूप से बच्चे के जन्म के बाद, नयी माँ का दूध उतरने के लिए अनुकूल भोजन प्रदान किया जाता है। आज के पोस्ट में, मैं आपको दूध बढ़ाने के लिए १५ सर्वोत्तम आहारों के बारे में बताने वाली हूँ। इन्हें ‘गैलेक्टोगॉग्स’ के रूप में जाना जाता है।


१. लहसुन
लहसुन चावल, लहसुन की चटनी, भुना हुआ लहसुन, लहसुन रसम, तिल के तेल में छौंके हुए लहसुन के रूप में लहसुन के सेवन से माँ का दूध बढ़ने में मदद मिलती है। यदि आपका बच्चा चिड़चिड़ा है तो इसे कम मात्रा में लें। लहसुन पाचन तंत्र की सुचारु क्रियाशीलता में सहायता करता है, गैस दूर करता है और खमीर संक्रमण या छाले से बचाता है।

२. मेथी
मेथी में फायटोएस्ट्रोजन पाया जाता है जो एस्ट्रोजन के समान रसायन होता है। इसमें मौजूद एक प्रमुख तत्व डिओसजेनिन स्तन का दूध बढ़ाने करने में कारगर साबित हुआ है। इसे डोसा/चाय के रूप में लिया जा सकता है या पानी के साथ साबुत निगला जा सकता है। इसे बहुत प्राचीन समय से नयी माँओं के द्वारा प्रयोग किया जाता रहा है। मेथी के दाने आयरन, कैल्शियम, विटामिन और मिनरल से भरपूर होते हैं।

पढ़ें: गर्भावस्था का ९वां महीना Increase Lactation In New Moms
३. दूध
दूध स्तनपान के दौरान माँ के शरीर से समाप्त होने वाले कैल्शियम की भरपाई करने में सहायता करता है, हाइड्रेट करता है और दूध बढ़ाने में भी मदद करता है।
४. सैजन की पत्तियां
केरल में नयी माँओं को भुजिया/सब्जी के रूप में सैजन की पत्तियां दी जाती हैं। यह दूध का उत्पादन बढ़ाने में सहायता करता है।
५. ब्राउन राइस
यह एक अन्य सर्वोत्तम आहार है जो पर्याप्त दूध उत्पादित कर सकता है। Increase Lactation In New Moms
६. जई
जई में प्रचुर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है और यह दूध के उत्पादन में भी सहायता करता है। नयी माँ के खानपान में जई को प्रतिदिन शामिल किया जा सकता है।
७. पालक
आयरन से भरपूर पालक दूध का उत्पादन बढ़ाने में भी सहायता कर सकता है।
८. मछली
मेरा पसंदीदा! सार्डिन और सामन नयी माँओं का दूध बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इसे करी/काली मिर्च पाउडर के साथ तलकर/ग्रिल के रूप में लिया जा सकता है। मछली को पूर्व प्रसव आहार में भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि इसे बच्चों के दिमाग के विकास के लिए अच्छा माना जाता है। Increase Lactation In New Moms

९. लौकी
दूधी या लौकी भी सहायता करता है। लौकी की प्रजाति की सभी सब्जियां दूध के उत्पादन में वृद्धि करती हैं। लौकी को सब्जी, भुजिया, हलवा, खीर आदि के रूप में लिया जा सकता है।
१०. पानी
बहुत सारा पानी हाइड्रेशन में सहायता करता है और नयी माँओं के दूध उत्पादन को बढ़ाता है। प्रत्येक बार स्तनपान कराने से पहले और बाद में माँ को एक गिलास फल का रस या पानी लेना चाहिए।
११. चना
हल्की करी/हमस के रूप में चने का प्रयोग भी किया जा सकता है। प्राचीन मिस्र काल से इसका प्रयोग स्तनपान कराने वाली माँओं के द्वारा किया जाता रहा है।
१२. बादाम
बादाम प्रोटीन और विटामिन ई का प्रचुर स्त्रोत होता है जो दूध उत्पादन में भी सहायता करता है। नयी माएं रात भर भिगाकर रखे गए ३-५ बादाम ले सकती हैं।
पढ़ें: स्ट्रेच मार्क्स के लिए पमार्स कोको बटर फॉर्मूला मसाज क्रीम
१३. तिल का तेल और घी
केरल में, नयी माँओं के लिए भोजन केवल तिल के तेल में तैयार किया जाता है। इसे नयी माँओं में दूध का उत्पादन बढ़ाने वाला माना जाता है। घी पर्याप्त पौष्टिक तत्व प्रदान करता है और हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायता करता है। यह माँ के दूध के लिए प्रेरक के रूप में भी कार्य करता है। Increase Lactation In New Moms

१४. तिल
तिल में कैल्शियम की उच्च मात्रा मौजूद होती है और यह माँ को बच्चे को अच्छी प्रकार से स्तनपान कराने में सहायता करता है। इसे लड्डू/ चटनी/ साबुत पानी के साथ लिया जा सकता है।
१५. सोआ बीज, अजवाइन/जीरा और सौंफ भी दूध बढ़ाने वाले आहार हैं।

Thursday, 17 November 2016

 Foods to Increase Breast Milk:

अगर आप अपने बच्‍चे को पर्याप्‍त दूध नहीं पिला पाती हैं तो यह वाकही में आपके लिये बहुत बडी़ चिंता का विषय है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे, तनाव, डीहाइड्रेशन, अनिद्रां आदि। लेकिन ऐसी कइ प्रभावशाली विधियां हैं 



जिससे आप ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढा सकती हैं। आपको केवल अच्‍छे प्रकार का आहार खाना होगा जो कि बच्‍चे पर कोई बुरा प्रभाव ना डाले। इन्‍हें अपने रोजाना के खाने में प्रयोग करें और ब्रेस्‍ट मिल्‍क की सपलाई को बढाएं। 

ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने वाले 10 प्राकृतिक उपाय:


खाएं यह आहार- 
1. मेथी- इसमें आयरन, विटामिन, कैल्‍शियम और मिनरल पाए जाते हैं। मेथी का प्रयोग कई पुराने सालों से किया आता जा रहा है और रिसर्च भी इस बात से सहमत है। लेकिन इसे ज्‍यादा ना खाएं वरना डीहाइड्रेशन भी हो सकता है। मेथी को कच्‍चा खाने की बजाए इसको सब्‍जी में डाल कर खाएं। 

2. तुलसी- इसको खाने से ना केवल बीमारियां ठीक की जा सकती हैं बल्कि ब्रेस्‍ट मिल्‍क भी बढाया जा सकता है। इसके अंदर विटामिन के पाया जाता है जो ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाता है। आप इसे सूप में या फिर कच्‍चा शहद के साथ खा सकती हैं। 

3. करेला- इसके अंदर विटामिन और मिनरल अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है, जिससे ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने की क्षमता बढ जाती है। यह स्‍त्री में लैक्‍टेशन सही करता है। करेला बनाते वक्‍त हल्‍के मसालों का प्रयोग करें जिससे यह आसानी से हजम हो सके। 

4. लहसुन- इसे खाने से भी दूध बढने की क्षमता बढती है। कच्‍चा लहसुन खाने से अच्‍छा होगा कि आप उसे मीट, करी, सब्‍जी या दाल में डाल कर पका कर खाएं। अगर आप लहसुन को रोजाना खाना शुरु करेंगी तो यह आपको जरुर फायदा पहुंचाएगा। 

5. मिल्‍क प्रोडक्‍ट- ऐसी चर्बी जो कि घी, बटर या तेल से मिलती हो, वह ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने में बहुत कारगर होती है। यह शरीर को बहुत शक्‍ति प्रदान करते हैं। आप इन्‍हें चावल या रोटी के साथ प्रयोग कर सकती हैं। चाहें तो सब्‍जी बनाते वक्‍त भी एक चम्‍मच घी डाल कर उसे पका सकती हैं। सुडौल बनना चाहती हैं? 

6. मेवा- बादाम और काजू जैसे मेवे ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह विटामिन, मिनरल और प्रोटीन में काफी रिच होते हैं। अच्‍छा होगा कि आप इन्‍हें कच्‍चा ही खाएं।

Sunday, 16 October 2016

कई बार शारीरिक और मानसिक दुर्बलता या किसी लम्बी बीमारी के कारण मस्तिष्‍क पर असर पड़ने लगता है और हमारी स्मरण शक्ति कम हो जाती है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानें कि आयुर्वेद के जरिये मस्तिष्‍क की शक्ति को कैसे बढ़ा सकते हैं।


Increase brain strength with help of Ayurveda:

1) आयुर्वेद और मस्तिष्‍क
अगर हमारा शरीर एक मंत्रालय है, तो मस्तिष्‍क उसका प्रधानमंत्री। इसकी मर्जी के बिना शरीर का कोई भी हिस्‍सा सही प्रकार काम नहीं कर सकता। कई बार अत्यधिक मानसिक परिश्रम व थकान, पाचन संस्थान की गड़बड़ी, शारीरिक और मानसिक दुर्बलता या किसी लम्बी बीमारी के कारण मस्तिष्‍क पर असर पड़ने लगता है और हमारी स्मरण शक्ति कम हो जाती है। आइए इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से जानें कि आयुर्वेद के जरिये मस्तिष्‍क की शक्ति को कैसे बढ़ा सकते हैं।

2) बादाम
बादाम मे पाये जाने वाले आयरन, कॉपर, फास्फोरस और विटामिन बी यह सभी औषधीय तत्व एक साथ क्रिया करते है। इसलिए बादाम मस्तिष्‍क, दिल और लीवर को ठीक  काम करते रहने मे मदद करता है। मस्तिष्‍क की शक्ति बढ़ाने के लिए पांच बादाम रात को पानी में भिगों दें। सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब एक गिलास दूध और उसमें इस पेस्‍ट को और दो चम्मच शहद को डालकर पी लें इससे आपको बहुत फायदा होगा।

3) ब्राह्मी
ब्राह्मी दिमागी शक्ति बढ़ाने की मशहूर जड़ी-बूटी है। ब्राह्मी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व के कारण इसके नियमित सेवन से मस्तिष्‍क की शक्ति बढऩे लगती है। इसका एक चम्मच रस रोज पीना लाभदायक होता है। अगर आपको इसका रस पसंद नहीं है तो आप इसको चबाकर भी खा सकते है इसके 7 पत्ते खाने से भी वही लाभ मिलता है।

4) अलसी का तेल
अलसी का तेल आपकी एकाग्रता को बढाता है, मस्तिष्‍क की शक्ति को तेज करता है तथा सोचने समझने की शक्ति को भी बढ़ाता है। नियमित रूप से अलसी के तेल के सेवन से आपको मस्तिष्क सम्बन्धी कोई विकार नहीं होता।

5) सौंफ
सौंफ प्रतिदिन घर में प्रयोग किए जाने वाले मसालों में से एक है। इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दो चम्मच दोनों समय भोजन के बाद लेते रहने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

6) अखरोट
अखरोट में ओमेगा -3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। इसमें मैगनीज, तांबा, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम जैसे मिनरल्स भी पाये जाते हैं। अखरोट विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत हैं, जो हमारे मस्तिष्क के लिए काफी फायदेमंद होता हैं।

7) दालचीनी
दालचीनी सिर्फ गर्म मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है। यह कमजोर मस्तिष्‍क की अच्‍छी दवा है। रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और मस्तिष्‍क की शक्ति बढ़ती है।

8) जायफल
अपनी गर्म तासीर के कारण बहुत थोड़ी मात्रा में उपयोग होने वाला जायफल के सेवन से मस्तिष्‍क बहुत तेज बनाता है। इसको खाने से आपको कभी एल्‍जाइमर यानी भूलने की बीमारी नहीं होती।

9) काली मिर्च
छोटी सी दिखने वाली काली मिर्च खाने के स्‍वाद को बढ़ाने के साथ औषधीय गुणों से भरपूर भी है। मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने में काली मिर्च लाभप्रद होती है। 25 ग्राम मक्खन में 5-6 कालीमिर्च मिलाकर नित्य चाटने से मस्तिष्‍क तेज होता है।

आयुर्वेद के जरिये मस्तिष्‍क की शक्ति बढ़ाने के उपाय | Increase brain strength with help of Ayurveda | Top 10 Ways to Improve Your Brain Power with Ayurveda

Friday, 14 October 2016

अजवायन का चूर्ण बनाकर आधा ग्राम लेकर समभग गुड में गोली बनाकर दिनमें तीन बार खिलाने से सभी प्रकार के पेट के कीडे नष्ट होते है।या सुबह उठते ही बच्चे दस ग्राम (और बडे २५ ग्राम) गुड खाकर दस - पन्द्रह मिनट आराम करें। 



इससे आंतों में चिपके सब कीडे निकलकर एक जगह जमा हो जायेंगे। फिर बच्चे आधा ग्राम (और बडे एक - दो ग्राम) अजवायन का चुर्ण बासी पानी के साथ खायें। इससे आंतों में मौजूद सब प्रकार के कीडे एकदमनष्ट होकर मल के साथ शीघ्र ही बाहर निकल जाते हैं।

 पेट में कीड़े होने के लक्षण और उपाय:

पेट में कीड़े के सरल उपाय | पेट में कीड़े होने के लक्षण और उपाय | Stomach worms symptoms and measures:

Tuesday, 6 September 2016

कान के रोग का घरेलू उपचार:

* बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें।
* कान का दर्द के लिए आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से फायदा होता है।
* गाय के शुद्ध देसी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें। छानकर, गुनगुना एक दो बूंद कान में टपकाएं।


* बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं।
* गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है।
* अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें। उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं।

Home Remedy For Ear Diseases In Hindi:

* चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है।
* तुलसी के पत्तों का रस या गेंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है।
* पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
* बहरेपन के लिए लगभग छियालीस ग्राम कड़वे बादाम के तेल में लहसुन की बारह मध्यम आकार वाली कलियां डालकर तब तक पकाएं, जब तक कलियां जल न जाएं।

इसके बाद लहसुन की कलियां निकालकर फेंक दें और तेल को छानकर रख लें। इस तेल को गुनगुना करके दो बूंद की मात्रा में रोज़ाना कान में डालें। इससे बहरेपन में लाभ होता है।

* कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है।
* केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है।
* कान का बहना....प्याज़ का रस थोड़ा-सा गर्म करके एक या दो बूंद कान में डालें। इससे कान का बहना, बहरापन व दर्द आदि रोग दूर होते हैं।

* सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं। जब जलने लगे, तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें। कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है।
* फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें। लाभ मिलता है।

* कान का बहरापन यदि कोई व्यक्ति या महिला जन्मजात बहरा हो तो वह मात्र दवाओं से ठीक नहीं होता। किन्तु ऊंचा सुनने वालों के लिए ये नुस्खे लाभदायक हो सकेत हैं....!

* प्याज़ का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है। कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है।

Friday, 26 August 2016

 बीमारी के दिन एक खरे सौदे की तरह लगते हैं। आपको पूरे दिन घर में बैठकर टीवी देखने को मिलता है, और आपको स्कूल भी नहीं जाना पड़ता है। लेकिन कभी कभी हम भूल जाते हैं कि यह कितना उबाऊ होता है और आपको कितना बुरा लगता है। ऐसे में यदि आप कुछ बातों का ख्‍याल रखेगे तो आपके लिये बीमारी से लड़ने की ताकत और हिम्‍मत आ जाएगी।



》 ऐसे बचे बीमार होने से
1) खुद का ख्याल रखें: खूब तरल पदार्थ पिएं, लेट कर आराम करें, दवाई ले, और नियमित रूप से अपने हाथ धोएं। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप लंबे समय तक के लिए बीमार हो जाएंगे।

2) अगर सिरदर्द है तो बहुत ज्यादा न पढ़ें : यह आपके सिरदर्द को ज्यादा बदतर कर देगा।

3) अपने दोस्त को बुलाएं: जब आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे होते हैं, तो आपको अपने दोस्तों से मिलकर बातें करके निश्चित रूप से मज़ा आता है, इससे आपका मन बीमारी से दूर हटेगा।

4) यदि पेट में दर्द है, तो ज्‍यादा खाने से बचे: यह बिना कहे किया जाना चाहिए। अपने पेट में बहुत अच्छा महसूस करने के लिए इस पर कोई एक गर्म वस्तु रखें और उचित स्थिति में लेटें।

5) टीवी देखें या कंप्यूटर पर जाएं: इससे सिर दर्द नहीं होगा और चलने-फिरने की आवश्यकता भी नहीं होगी, लेकिन याद रहे कि लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से आपकी आँखें थक जायेंगी तथा अंततः यह सिरदर्द का कारण होगा।

6) यदि आप वास्तव में बीमार नहीं हैं, कारण जो भी हो, तो अपने खाली दिन का पूरा लाभ उठाएं।

● सुझाव - 
कुछ भी ऐसा न करें जिससे कि आपको मिचली आये या सिरदर्द हो। चीजें जो आपका जी मिचला सकती है- उदाहरण के लिए, कुछ पेय, सोडा और संतरे का रस, बहुत घूमना, मसालेदार और कच्चे खाद्य पदार्थ खाना।याद रखें, आपका स्वास्थ्य अपकी मुख्य प्राथमिकता है। हमेशा खूब आराम करें चाहें आपको लगता हो कि थकान महसूस नहीं करते हैं! यह बीमारी का इलाज करने के लिए सबसे पहला रास्ता है।

ज्यादा बीमार होने से कैसे बचे ? how to prevent getting even more sick

Saturday, 20 August 2016

18 साल के बाद भी आप बढ़ा सकते हैं खुद की लंबाई:

 ऊंचा लंबा कद किसी के भी व्यक्तित्व को बढ़ा सकता है। सेना और पुलिस में ऊंचे कद का होना जरूरी माना जाता है। और अगर मॉडलिंग जैसे क्षेत्र में कदम जमाने हों, तो लंबाई बहुत काम आती है। हालांकि सबकी लंबाई अच्छी नहीं होती। लेकिन लंबाई बढ़ाने के लिए बचपन से ही ध्यान रखना चाहिए। 



लंबाई बढ़ने की औसत आयु लगभग 18 वर्ष तक होती है।

हमारे शरीर में लंबाई बढ़ाने का सबसे बड़ा योगदान होता है ह्यूमन ग्रोथ हॉरमोन का यानी की एचजीएच। एचजीएच पिटूइटेरी ग्लैंलड से निकलता है जिससे हमारी हाइट बढ़ती है। सही प्रोटीन और न्यूटिशन न मिलने के कारण शरीर का विकास होना बंद या कम हो जाता है। और अगर आप शरीर का सही विकास करना चाहते हैं तो खान-पान का पूरा ध्यान रखना शुरु कर दें। आजकल कोल्ड ड्रिंक्स पीना फैशन बन गया है, लेकिन यह सेहत के लिहाज से सही नहीं है। बर्गर, नूडल्स, पिज्जा खाने से भी हाइट नहीं बढ़ती। 

How To Increase Height In 1 Month:

दूध, दही, पनीर, मक्खन, दालें खाने से हाइट बढ़ती है। प्रोटीन दूध, दही, अंडे में खूब होता है। विटामिन, मिनरल्स के लिए फल खाओ, जूस पियो और हरी सब्जी, दालें खाना मत भूलना। आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे पोषक तत्व जिनका उपयोग कर के आप अपनी रुकी हुई हाइट को बढ़ा सकते हैं।

》 ये खाएं, हाइट बढ़ाएं...

1. कैल्शियम- कैल्शियम शरीर के लिए एक आवश्यक खनिज है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है। कैल्शियम हमें दूध, चीज़, दही आदि में मिलता है। ऊंचा लंबा कद पाने के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है।

2. मिनरल- खनिज हड्डी के ऊतकों का निर्माण करता है। ये हड्डी के विकास और शरीर में रक्त के प्रवाह में सुधार करते हैं। अगर आपको अपनी लंबाई बढ़ानी है तो खनिज से भरपूर तत्वों का इस्तेमाल करें। यह पालक, हरी बीन्स, फलियां, ब्रोकोली, गोभी, कद्दू, गाजर, दाल, मूंगफली, केले, अंगूर और आड़ू में पाया जाता है।

3. विटामिन डी- लंबाई बढ़ाने के लिए जिस विटामिन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उनमें से एक है व‍िटामिन डी। अच्छी तरह से कैल्शियम को हड्डी में अवशोषित करने के लिए, हड्डी के विकास के लिए और प्रतिरक्षा प्रणाली के बेहतर कार्य करने के लिए आपको विटामिन डी की जरूरत होती है जो मछली, दाल, अंडा, टोफू, सोया मिल्कर, सोया बीन, मशरूम और बादाम आदि में पाया जाता है।

4. प्रोटीन- प्रोटीन रिच फूड न केवल हेल्थी होते हैं बल्कि आपकी हाईट भी बढ़ाते हैं। यह शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं। अमीनो एसिड से भरपूर पदार्थ शरीर को सही ग्रोथ और बेहतर कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं। कुछ आहार जिनमें प्रोटीन पाए जाते हैं वह हैं- मछली, दूध, चीज़, बींस, मीट, मूगंफली, दालें और चिकन आदि।

5. विटामिन ए- शरीर के अंगों के सही प्रकार से कार्य करें इसके लिए आपको विटामिन ए से भरा हुआ आहार अपने रोजाना आहार में शामिल करना चाहिए। इससे हड्डियां मजबूत रहेंगी और साथ ही लम्बाई भी बढ़ेगी। तो विटामिन ए का सेवन जरूर करें। पालक, चुकदंर, गाजर, चिकन, दूध, टमाटर आदि के अलावा सब्जियों के जूस का भी सेवन करें।

इसके अलावा कुछ छोटी-छोटी मगर मोटी बातें है जिनको अपनाकर भी आप अपनी हाईट बढ़ा सकते है, जैसे- सही तरीके से बैठें और चलें। कभी भी झुककर बैठना और चलना नहीं चाहिए। चलते और बैठते समय अपनी कमर को सीधा रखें। समय पर सोएं। देर रात तक जागना नहीं चाहिए। रात 10 बजे तक सो जाएं और सुबह उठकर थोड़ा-सा व्यायाम करें, अच्छा रहेगा।

लंबाई बढ़ाने के आसान तरीके, बच्चों की लंबाई बढ़ाने के 6 आसान तरीके , लम्बाई बढ़ाने के घरेलू उपचार | बच्चों की लंबाई बढ़ाने के 6 आसान तरीके | How to increase Height in Hindi

Saturday, 6 August 2016

सदियों पुराने पेट के कृमियों की समस्या और निवारण के ये आसान नुस्खे जो पेट के कीड़ों को पूरी तरह मार गिराते है ------

संक्रमित भोजन और पेय पदार्थों के सेवन, घरों के आसपास की गंदगी, अधकचे भोजन का सेवन जैसी अनेक वजहें हैं जो पेट में कृमि की शिकायत बनते हैं। 


बच्चों के पेट के कीड़े का देसी इलाज:

पेट में कृमि होने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर काफी प्रभाव पड़ता हैं। थकान, चिड़चिड़ापन और शारीरिक दुर्बलता के अलावा चेहरे और शरीर की त्वचा पर सफेद धब्बे आदि बनना इस रोग के लक्षणों के तौर पर माने जाते हैं। 
 
स्वस्थ रहन-सहन अनेक रोगों को हमसे दूर रखता है फिर भी यदि कृमियों से आप संक्रमित हो जाएं तो घबराने की बात नहीं। 

हिन्दुस्तानी आदिवासियों के हर्बल नुस्खे अपनाकर आप भी प्राकृतिक हर्बल उपायों के आधार पर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। चलिए आज जानते हैं

आदिवासियों के 10 जबरदस्त हर्बल उपाय जिनका उपयोग कर आप भी पेट के कृमियों की समस्या से निपट सकते हैं।

पेट के कृमियों की समस्या और निवारण के संदर्भ में आदिवासियों के परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

गोरखमुंडी के बीजों (सूखे फ़ूल) को पीसकर चूर्ण तैयार कर सेवन कराने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) की शिकायत हो तो लहसून की कच्ची कलियों का 20-30 बूँद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

आदिवासियों के अनुसार सूरनकंद की सब्जी अक्सर खाने वाले लोगों को पेट में कृमि की शिकायत नहीं रहती है। कच्चे सूरनकंद को छीलकर नमक के पानी में धोया जाए और लगभग 4 ग्राम कंद को सोने से पहले एक सप्ताह प्रतिदिन चबाया जाए तो पेट के कृमि बाहर निकल आते हैं।

पातालकोट के आदिवासी कच्चे सीताफल को फोड़कर सुखा लेते हैं और इसका चूर्ण तैयार करते है। इस चूर्ण को बेसन के साथ मिलाकर बच्चों को खिलाते है, जिससे पेट के कीड़े मर जाते है।

बेल के पके फलों के गूदे का रस या जूस तैयार करके पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासी मानते हैं कि बेल के फलों के बजाए पत्तों का रस का सेवन किया जाए तो ज्यादा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं

पपीता के कच्चे फलों से निकलने वाले दूध को बच्चों को देने से पेट के कीड़े मर जाते है और बाहर निकल आते है। प्रतिदिन रात को आधा चम्मच रस का सेवन तीन दिनों तक कराया जाए तो पेट के कृमि मर जाते हैं।

पातालकोट के हर्बल जानकारों की मानी जाए तो पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी चूर्ण रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजे पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं।

जीरा के कच्चे बीजों को दिन में 5 से 6 बार करीब 3 ग्राम की मात्रा चबाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। आदिवासियों के अनुसार कच्चा जीरा पाचक को दुरुस्त भी करता है और गर्म प्रकृति का होने की वजह से कीड़ों को मार देता है और कीड़े शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

कच्चे नारियल को चबाते रहने से पेट के कीड़े मर जाते हैं, डाँग- गुजरात में आदिवासी बच्चों को अक्सर कच्चा नारियल खिलाते हैं और जीरे का चूर्ण बनाकर पानी में घोलकर एक गिलास जीरा पानी का भी सेवन कराते हैं ताकि पेट के कृमि मर जाएं।

परवल और हरे धनिया की पत्तियों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल लिया जाए और एक पाव पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दिया जाए, सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोड़ा सा शहद डालकर दिन में 3 बार रोगी को देने से पेट के कीड़े मर हो जाते हैं।

आसान नुस्खे जो पेट के कीड़ों को पूरी तरह मार गिराते है  | #पेट के कीड़े मारने के उपाय | बच्चों के पेट के कीड़े का देसी इलाज

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