सदियों पुराने पेट के कृमियों की समस्या और निवारण के ये आसान नुस्खे जो पेट के कीड़ों को पूरी तरह मार गिराते है ------
संक्रमित भोजन और पेय पदार्थों के सेवन, घरों के आसपास की गंदगी, अधकचे भोजन का सेवन जैसी अनेक वजहें हैं जो पेट में कृमि की शिकायत बनते हैं।
बच्चों के पेट के कीड़े का देसी इलाज:
पेट में कृमि होने से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर काफी प्रभाव पड़ता हैं। थकान, चिड़चिड़ापन और शारीरिक दुर्बलता के अलावा चेहरे और शरीर की त्वचा पर सफेद धब्बे आदि बनना इस रोग के लक्षणों के तौर पर माने जाते हैं।
स्वस्थ रहन-सहन अनेक रोगों को हमसे दूर रखता है फिर भी यदि कृमियों से आप संक्रमित हो जाएं तो घबराने की बात नहीं।
हिन्दुस्तानी आदिवासियों के हर्बल नुस्खे अपनाकर आप भी प्राकृतिक हर्बल उपायों के आधार पर इस समस्या से निजात पा सकते हैं। चलिए आज जानते हैं
आदिवासियों के 10 जबरदस्त हर्बल उपाय जिनका उपयोग कर आप भी पेट के कृमियों की समस्या से निपट सकते हैं।
पेट के कृमियों की समस्या और निवारण के संदर्भ में आदिवासियों के परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
गोरखमुंडी के बीजों (सूखे फ़ूल) को पीसकर चूर्ण तैयार कर सेवन कराने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) की शिकायत हो तो लहसून की कच्ची कलियों का 20-30 बूँद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।
आदिवासियों के अनुसार सूरनकंद की सब्जी अक्सर खाने वाले लोगों को पेट में कृमि की शिकायत नहीं रहती है। कच्चे सूरनकंद को छीलकर नमक के पानी में धोया जाए और लगभग 4 ग्राम कंद को सोने से पहले एक सप्ताह प्रतिदिन चबाया जाए तो पेट के कृमि बाहर निकल आते हैं।
पातालकोट के आदिवासी कच्चे सीताफल को फोड़कर सुखा लेते हैं और इसका चूर्ण तैयार करते है। इस चूर्ण को बेसन के साथ मिलाकर बच्चों को खिलाते है, जिससे पेट के कीड़े मर जाते है।
बेल के पके फलों के गूदे का रस या जूस तैयार करके पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासी मानते हैं कि बेल के फलों के बजाए पत्तों का रस का सेवन किया जाए तो ज्यादा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं
पपीता के कच्चे फलों से निकलने वाले दूध को बच्चों को देने से पेट के कीड़े मर जाते है और बाहर निकल आते है। प्रतिदिन रात को आधा चम्मच रस का सेवन तीन दिनों तक कराया जाए तो पेट के कृमि मर जाते हैं।
पातालकोट के हर्बल जानकारों की मानी जाए तो पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी चूर्ण रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजे पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं।
जीरा के कच्चे बीजों को दिन में 5 से 6 बार करीब 3 ग्राम की मात्रा चबाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। आदिवासियों के अनुसार कच्चा जीरा पाचक को दुरुस्त भी करता है और गर्म प्रकृति का होने की वजह से कीड़ों को मार देता है और कीड़े शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।
कच्चे नारियल को चबाते रहने से पेट के कीड़े मर जाते हैं, डाँग- गुजरात में आदिवासी बच्चों को अक्सर कच्चा नारियल खिलाते हैं और जीरे का चूर्ण बनाकर पानी में घोलकर एक गिलास जीरा पानी का भी सेवन कराते हैं ताकि पेट के कृमि मर जाएं।
परवल और हरे धनिया की पत्तियों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल लिया जाए और एक पाव पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दिया जाए, सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोड़ा सा शहद डालकर दिन में 3 बार रोगी को देने से पेट के कीड़े मर हो जाते हैं।
आदिवासियों के 10 जबरदस्त हर्बल उपाय जिनका उपयोग कर आप भी पेट के कृमियों की समस्या से निपट सकते हैं।
पेट के कृमियों की समस्या और निवारण के संदर्भ में आदिवासियों के परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।
गोरखमुंडी के बीजों (सूखे फ़ूल) को पीसकर चूर्ण तैयार कर सेवन कराने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) की शिकायत हो तो लहसून की कच्ची कलियों का 20-30 बूँद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।
आदिवासियों के अनुसार सूरनकंद की सब्जी अक्सर खाने वाले लोगों को पेट में कृमि की शिकायत नहीं रहती है। कच्चे सूरनकंद को छीलकर नमक के पानी में धोया जाए और लगभग 4 ग्राम कंद को सोने से पहले एक सप्ताह प्रतिदिन चबाया जाए तो पेट के कृमि बाहर निकल आते हैं।
पातालकोट के आदिवासी कच्चे सीताफल को फोड़कर सुखा लेते हैं और इसका चूर्ण तैयार करते है। इस चूर्ण को बेसन के साथ मिलाकर बच्चों को खिलाते है, जिससे पेट के कीड़े मर जाते है।
बेल के पके फलों के गूदे का रस या जूस तैयार करके पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासी मानते हैं कि बेल के फलों के बजाए पत्तों का रस का सेवन किया जाए तो ज्यादा बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं
पपीता के कच्चे फलों से निकलने वाले दूध को बच्चों को देने से पेट के कीड़े मर जाते है और बाहर निकल आते है। प्रतिदिन रात को आधा चम्मच रस का सेवन तीन दिनों तक कराया जाए तो पेट के कृमि मर जाते हैं।
पातालकोट के हर्बल जानकारों की मानी जाए तो पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी चूर्ण रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजे पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं।
जीरा के कच्चे बीजों को दिन में 5 से 6 बार करीब 3 ग्राम की मात्रा चबाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। आदिवासियों के अनुसार कच्चा जीरा पाचक को दुरुस्त भी करता है और गर्म प्रकृति का होने की वजह से कीड़ों को मार देता है और कीड़े शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।
कच्चे नारियल को चबाते रहने से पेट के कीड़े मर जाते हैं, डाँग- गुजरात में आदिवासी बच्चों को अक्सर कच्चा नारियल खिलाते हैं और जीरे का चूर्ण बनाकर पानी में घोलकर एक गिलास जीरा पानी का भी सेवन कराते हैं ताकि पेट के कृमि मर जाएं।
परवल और हरे धनिया की पत्तियों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल लिया जाए और एक पाव पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दिया जाए, सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोड़ा सा शहद डालकर दिन में 3 बार रोगी को देने से पेट के कीड़े मर हो जाते हैं।
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