हम क्यों मनाते हैं बाल दिवस ? | Happy Children Day 2017

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Monday, 17 July 2017

सिर्फ भारत में ही नहीं, संतरा पूरे विश्व में पाया जाता है, विश्व के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के संतरे पाये जाते हैं! सर्दियों में संतरे जैसा फल, बहुत ही आसानी से उपलब्ध होता है। यह सिर्फ स्वाद की ही दृष्टि से नहीं, बल्कि स्वास्‍थ्‍य की दृष्टि से भी अच्छा होता है।


Top 10 Health Benefits Of Orange Juice:

Top 10 Health Benefits Of Orange Juice

1) उच्च रक्तचाप के मरीज़ के लिए:
संतरे में मैग्नीशियम और पोटैशियम अधिक मात्रा में होती है, इसलिए यह उच्चक्तचाप के मरीज़ों के लिए अच्छा‍ है।
2) कोल्ड और फ्लू से बचाव के लिए:
विटामिन सी की अधिक मात्रा होने के कारण, संतरे के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है और कोल्ड और फ्लू जैसे संक्रमण का खतरा कम होता है।

3) कैंसर का जोखिम कम: 
प्रतिदिन संतरे के जूस का सेवन से किसी भी प्रकार के कैंसर की संभावना कम होती है क्योंकि संतरे के जूस में एण्टीआक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
4) गठिया के मरीज़ों के लिए:
गठिया के मरीज़ भी संतरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे किसी प्रकार के दर्द से आराम मिलता है और वज़न भी नियंत्रित रहता है।
5) घावों के भरने में:
संतरे के जूस में फोलेट पाया जाता है और फोलेट घावों को भरने में और नये सेल्स के निर्माण में मदद करता है।
ध्यान रखने योग्ये बातें:
● संतरे के जूस में कैलोरी अधिक मात्रा में होती है इसलिए इसका सेवन बहुत अधिक मात्रा में ना करें।
● खाना खाने के तुरंत बाद या खाना खाने से तुरंत पहले, संतरे का जूस का सेवन नहीं करना चाहिए।
● एसिडिटी के मरीज़ों को संतरे का जूस नहीं पीना चाहिए।
● जूस के सेवन का अर्थ यह नहीं है कि आप किसी भी जगह से या किसी भी समय जूस ले सकते हैं। जूस हमेशा किसी ऐसे स्थान से पीयें जहां सफाई से जूस बना सया जा रहा हो।

गर्भावस्था के दौरान अपनाएं यह डाइट चार्ट:

गर्भावस्था के दौरान अपने डायट चार्ट में जरूरी पोषक तत्वों को करें शामिल |
● गर्भवती होने के बाद नियमित व्यायाम अवश्य करें, इससे फिटनेस बनी रहती है।
● प्रेग्नेंट महिला को गर्भधारण के बाद 300 अतिरिक्त कैलोरी की होती है जरूरत।
● अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल कीजिए।
● ज्यादा भार न उठायें, ज्यादा काम करने से बचें और भरपूर आराम जरूर करें।


Diet chart during pregnancy month by month in Hindi:


● गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए आम तौर पर मिले-जुले अनुभव लेकर आता है, कभी उन्हें आने वाले शिशु की चिंता सताती है। इस दौरान आपको होने वाले बच्चे का भी ध्यान रखना पड़ता है। यदि आपने खान-पान या नियमित होने वाली जांच में अनियमितता बरती तो यह आप और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो |

● तो कभी यह अनुभव उनके लिए सुखदायी होता है। चिकित्सकों के परामर्श अनुसार महिलाएं आजकल आराम पर भी ध्यान देती हैं, लेकिन व्यायाम पर ध्यान नहीं देतीं। 

स्वस्थ व सुरक्षित गर्भावस्था में व्यायाम भी उतना ही आवश्यखक है, जितनी दूसरी बातें। आइए हम आपको उचित और अनुचित के बारे में जानकारी दे रहे हैं।


गर्भावस्था में देखभाल:

1) व्यायाम करें :
गर्भवती होने के बाद यदि आप नियमित व्यायाम कर रही हैं तो इससे आप न केवल फिट रहेंगी बल्कि सामान्य प्रसव की संभावना भी बढ़ेगी। इसलिए नियमित व्यायाम अवश्य करें, ज्यादा थकाऊ व्यायाम की जगह हल्के फुल्के व्यायाम ही करें। सैर करें, यह आसान भी है।

यदि आप गर्भावस्था से पहले से ही व्यायाम करती आ रही हैं, तो चिकित्सक और ट्रेनर से संपर्क के बाद ही व्यायाम की शुरूवात करें। व्यायाम करने से रक्त संचार सुचारु होता है, 

अंतिम चरण तक चलते-फिरने, उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती, कब्ज़ की शिकायत दूर होती है और थकान भी कम होती है।

2) आपका खानपान :-

गर्भवती महिला को लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। इस दौरान आपको पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, इसलिए अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल करें। यदि सुबह आपका जी मचलता है, तो पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खायें और अच्छी नींद लें। सुबह उठने के साथ ही नाश्ता ज़रूर करें।

3) इन बातों पर रखें नज़र :- 

● सुबह अचानक बिस्तर से ना उठें।
● आपकी त्वचा अत्यंत रूखी हो रही है, तो माश्चराइज़र का प्रयोग करें।
● कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत रहती है, ऐसा होने पर सोने से पहले शरीर की मालिश करें।
● ज्यादा भार न उठायें, काम करने से बचें और आराम भरपूर करें।

गर्भावस्था के दौरान सर्वश्रेष्ठ भोजन:

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Saturday, 15 July 2017

Green Tea पीने के फ़ायदे:


  • मोटापा घटाने में मदद करती है ग्रीन टी।
  •  एंटी-ऑक्‍सीडेंट से भरपूर होती है ग्रीन टी।
  •  दिल की सेहत के लिए भी इसका सेवन लाभकारी।
  •  ग्रीन टी में होती है कैंसररोधी तत्‍वों की भरमार।


Top 10 Benefits Of Drinking Green Tea in Hindi:


● ग्रीन टी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभदायक है। ग्रीन टी पीने से न केवल सामान्‍य बीमारियां दूर रहती हैं बल्कि कैंसर और अल्‍जाइमर के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है। मोटापा कम करने में ग्रीन टी बहुत मदद करती है। ग्रीन टी पीने से आप तरोताजा महसूस करेंगे। ग्रीन टी को कैमिला साइनेंसिस की पत्तियों को खाकर तैयार किया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं कि ग्रीन टी पीना हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कितना फायदेमंद है।

Top 10 Benefits Of Drinking Green Tea in Hindi



1) प्रतिरक्षा तंत्र में मजबूती
ग्रीन टी में विटामिन सी, पालीफिनोल्स के अलावा अन्य एंटीआक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो कि शरीर के फ्री रेडीकल्स को नष्ट कर इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाते हैं। दिन में तीन से चार कप ग्रीन टी शरीर में लगभग 300-400 मिग्रा पालीफिनोल पहुंचाती है, इससे शरीर में बीमारियां होने का खतरा कम होता है और शरीर रोग-मुक्‍त होता है।

2) कैंसर से रखें दूर
ग्रीन टी कैंसर के सेल को बढ़ने से रोकती है। ग्रीन टी मुंह के कैंसर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसके नियमित प्रयोग से पाचन नली और मूत्राशय के कैंसर की आशंका न के बराबर रहती है। इसलिए कैंसर के मरीजों के लिए ग्रीन टी रामबाण है।

3) दिल को दुरुस्‍त रखें
ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्‍म का स्‍तर बढ़ता है। जिसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहती है। कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा संतुलित रहने से रक्तचाप सामान्य रहता है। ग्रीन टी खून को पतला बनाए रखती है जिससे खून का थक्का नहीं बन पाता। ग्रीन टी पीने से हार्ट अटैक आशंका बहुत कम रहती है।

4) वजन घटाए
मोटापा कम करने में ग्रीन टी बहुत मदद करती है। खाने के बाद एक कप ग्रीन टी पीने से पाचन की गति बढ़ जाती है। ग्रीन टी में मौजूद कैफीन से कैलोरी खर्च करने की गति भी बढ़ जाती है। इसके कारण वजन कम होता है।

5) मुंह स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद:
ग्रीन टी मुंह के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ग्रीन टी में ऑक्‍सीकरण रोधी पॉलीफिनॉल पाया जाता है जो मुंह में उन तत्‍वों को खत्‍म कर देता है जो सांस संबंधी परेशानियों के लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

6) ब्‍लड शुगर को नियंत्रित करें:
ग्रीन टी शरीर में ग्‍लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करती है, और इन्‍सुलिन दवा के हानिकारक प्रभावो को कम करने में भी मदद करती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेरिलैंड मेडिकल सेंटर के अनुसार ग्रीन टी शरीर में ना सिर्फ टाइप 1 डाइबिटीज को कम करता है बल्कि इसके बुरे प्रभाव को भी कम करता है।

ग्रीन टी पर हर रोज नए-नए शोध हो रहे हैं। ग्रीन टी कई रोगों के इलाज में रामबाण साबित हुई है। ग्रीन टी अल्‍जाइमर, पार्किंसन, मल्‍टीपल स्‍कलेरोज, कैंसर, मोटापा और हृदय संबंधी रोगों के लिए फायदेमंद है।

Friday, 14 July 2017

आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है। यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं 

Ayurvedic treatment of infertility in hindi:




स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है-
पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं। 
दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी…



मनुष्यों में एक वर्ष तक प्रयास करते रहने के बाद अगर गर्भधारण नहीं होता तो उसे बन्ध्यता या अनुर्वरता
कहते हैं। यह केवल स्त्री के कारण नहीं होती। केवल एक तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के कारण होती है।

बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार:

दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है। शेष एक तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले कारणों से या
अज्ञात कारणों से होती है।

अनुर्वरता के मुख्य कारण
लगभग 15% युगल अपनी पहली गर्भावस्था के प्रयास में विफल होते है यदि नए युगल संभोग के एक वर्ष के बाद भी गर्भावस्था को प्राप्त करने में असमर्थ होते है तो ऐसे रोगियों में बांझपन की समस्या हो सकती है परिभाषित. तथ्य यह है कि सभी बांझपन का सामना कर रहे जोड़ों का 60%, एक पुरुष कारक शामिल है. जबकि subfertility मामलों का लगभग 40% में अकेले पुरुष में और दूसरा 20% में दोनों पुरुष और महिला रहे हैं. कुछ शारीरिक दोषों के कारण (अल्पशुक्राणुता) गिनती और शुक्राणु की गुणवत्ता खराब हो जाती है जिसके कारण पुरुष बांझपन के लिए जिम्मेदार होते हैं कुछ कारण अस्पष्टीकृत होते है, जैसे गंभीर बीमारी, कुपोषण, आनुवंशिक असामान्यताएं, प्रदूषण, और भी कुछ दवाओं, हार्मोन और रसायनों के दुष्प्रभावों के मामलों के बाकी हिस्सों में जिम्मेदार हैं. (संक्षेप में, यह संख्या लेकिन शुक्राणु की गुणवत्ता कि प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण है नहीं है).

पुरूष के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली का प्रभाव शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता
है। जिन चीज़ों से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता घटती है उस में शामिल हैं – मदिरा एवं ड्रग्स वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं, धूम्रपान, मम्पस का इतिहास, कुछ विशिष्ट दवाँएं तथा कैंसर के कारण रेडिएशन।

*.अंडे की गुणवत्ता
*.अवरुद्ध अण्डवाही ट्यूबें
*.असामान्य हार्मोन के स्तर
*.जीवन शैली
*.यौन संचारित रोग
*.मोटापा
*.शुक्राणु बनने की समस्य – बहुत कम शुक्राणू या बिलकुल नहीं।
*.मदिरा, ड्रग्स एवं सिगरेट पीना
*.वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं यौनपरक संक्रमण से अनुर्वरकता यौनपरक संक्रमण के कारणभूत जीवाणु गर्भाशय और ट्यूबों की ग्रीवा में प्रवेश पा सकते हैं और अण्डवाही ट्यूबों के अन्दर की त्वचा को अनावृत (नंगा) कर देते हैं हो सकता है कि अन्दर पस बन जाए। 

एन्टीबॉयटिक बगैरह खा लेने से यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी हो सकता है कि ट्यूब के अन्दर की नंगी
दीवारें आपस में जुड़कर टूयूब को बन्द कर दें और अण्डे को या वीर्य को आगे न बढ़ने दें सामान्यतः गर्भ धारण के लिए अण्डा और वीर्य ट्यूबों में मिलते हैं तो उर्वरता होती है।
अधिक आयु
बच्चे को जन्म देने की सम्भावनाएं बढ़ती उम्र के साथ निम्न कारणों से घटती है
*.उर्वरण के लिए तैयार अण्डे के निष्कासन की सामर्थ्य में बढ़ती उम्र के साथ कमी आ जाती है।
बांझपन का इलाज
*.बढ़ती उम्र के साथ ऐसी स्वास्थ्यपरक समस्याएं हो सकती है जिनसे उर्वरकता में बाधा पड़े।
*.साथ ही गर्भपात की सम्भावनाएं भी बहुत बढ़ जाती हैं।
बांझपन की दशा में...
1 * सेमर की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम पानी में पकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के बाद चार दिन तक इसका सेवन करें।

2.  50 ग्राम गुलकंद में 20 ग्राम सौंफ मिलाकर चबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्लास दूध नियमित रूप से पिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल सकती है।

3 गुप्तांगों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। खाने में जौ, मूंग, घी, करेला, शालि चावल, परवल, मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर शामिल करें।

4 * पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में औटाएं और उसे छानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से पीना शुरू करें
और 7 दिनों तक प्रयोग करें।

5 * पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख लें। मासिक धर्म के बाद 5-10 ग्राम चूर्णं खाकर ऊपर से कच्चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से 14 दिन तक करें।

6 * मासिक धर्म के बाद से एक सप्ताह तक 2 ग्राम नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें। आपको
फाएदा होगा।

7 * 5 ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे महिला गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
गर्भधारण हेतू कुछ उपाय
8 * तीन ग्राम गोरोचन, 10 ग्राम असगंध, 20 ग्राम गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं बनाएं। फिर पीरिएड के चौथे दिन से निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ पिएं।

9 * महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी विकृतियां दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्य होगी।

10.. 10 ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपल जटा जौकुट करके 500 मि.ली. दूध में पकाएं। जब वह मात्र 200 मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमें चीनी और शहद मिलाकर पीरिएड होने के 5वें या 6ठे दिन से खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है।

Friday, 30 June 2017

अपनाएं ये सदियों पुराने नुस्खे हमेशा जवान दिखने के लिए:

कौन नहीं चाहता कि वह हमेशा जवान बने रहें? प्रत्येक आदमी जवान दिखना चाहता है और इसके लिए कुछ लोग अपने डाइट पर ध्यान देते हैं तथा कुछ सर्जरी और बोटोक्स को अपनाते हैं। जवान दिखने के लिए यह सब की जरूरत नहीं है आप अपने रोज के डाइट में कुछ हेल्दी फूड्स को शामिल कर हमेशा जवान दिख सकते हैं।

हमेशा जवान दिखने के लिए क्या करें? :



What we do for always looking young? :

What we do for always looking young?

नीचे कुछ हेल्दी फूड्स दिये गए हैं जिसे खाकर आप रह सकते हैं हमेशा जवान-
दही- अपने भोजन में दही को शामिल करें क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो ऑस्टोपोरोसिस से बचाता है इसके अलावे इसमें गुड   बैक्टिरिया पाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह बढ़ती उम्र में आंत की बीमारियों में फायदा पहुंचाता है।
मछली- मछली में ओमेगा-3 फैट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो कोलेस्ट्रोल बनने से रोकता है। धमनियों को मजबूत करता है और असामान्य दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है। 
तरबूज- इस रसदार फल में लाइकोपीन पाया जाता है जो स्किन को चमकदार और सुंदर बनाता है। लाइकोपीन एक एंटीऑअक्सीडेंट होता है।  
खीरा- जवान दिखने के लिए आप अपने भोजन में खीरा को शामिल करें क्योंकि इसमें मिनरल सिलिका पाया जाता है। जो ऊतकों को मजबूती के लिए आवश्यक है। इसमें मैग्नेशियम, आयनिक पोटेशियम और विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
एवोकैडो (नाश्पाती जैसा फल)- इमसें ओलिक एसिड और ओमेगा-9 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एवोकैडो आपके स्किन को सॉफ्ट और मॉइस्चराइज़ बनाए रखता है।
इसलिए आप आपने भोजन में इन्हें शामिल करें। जिससे आप हमेशा जवान बने रह सकते हैं।

Wednesday, 28 June 2017

थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेटाबालिज्म क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज किया जाए। इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस ग्र्रंथि में अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपोथाइरॉइडिज्म, इपरथाइरॉइडिज्म, गठान होन या कैंसर होने जैसी समस्याएं होती है। अगर आपके साथ भी थाइरॉइड की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।



थाइरॉइड में अनियमितता के लक्षण-
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।



मोटापा- हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है।

थकान, अवसाद या घबराहट- अगर बिना अधिक मेहनत करने के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड हो सकती है।

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- हाइपोथाइरॉडड यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।

गर्दन में सूजन- थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

बालों और त्वचा की समस्या- खासतौर पर हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन, बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।

पेट खराब होना- लंबे समय तक कान्सटिपेशन की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार होती है।

अश्वगंधा- अश्वगंधा सबसे चमत्कारी दवा के रू प में कार्य करता है। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है।

समुद्री घास- समुद्री घास को भी थाइरॉइड ग्रंथि को नियमित बनाने केेे लिए एक रामबाण दवा की तरह काम करती है। समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स व आयोडिन मिलता है। इसीलिए समुद्री घास का सेेवन इस बीमारी मेें लाभदायक है। इसकेेे अलावा इससे मिलने वाले एंटीऑक्सीडें्स स्किन को जवान बनाएं रखते हैं।

नींबूं की पत्तियां- नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड को नियमित करता हैं। दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है। इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में रामबाण औषधि का काम करती है।

ग्रीन ओट्स- थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल औषधि की तरह कार्य करता है। ये शरीर में हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता व उसके कारण हो रही समस्याओं को मिटाता है।

Tuesday, 27 June 2017

चावल के अलावा इसका पानी भी सेहत के लिए फायदेमंद है। चावल को पकाने में इस्तेमाल होने वाले पानी में कई गुण छिपे होते हैं। यह चेहरे व बालों को फायदा पहुंचाता है। इसमें कई पौष्टिक तत्त्व जैसे विटामिन, प्रोटीन व एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जिससे स्किन खिली-खिली रहती है। यह स्किन के सूखेपन व कील मुहांसों को भी दूर करता है व जल्द बुढ़ापा आने से भी रोकता है।



ये करें: चावल को पानी में पकाने के बाद ठंडा कर लें। छानकर पानी अलग करें और इससे चेहरे पर 15 मिनट तक मसाज करने के बाद साफ पानी से चेहरा धोलें। इसके अलावा इस पानी को पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। पानी की दूर करने के लिए बीमार व छोटे बच्चों को चावल का पानी पिलाते हैं।

डिहाइड्रेशन की समस्या गर्मियों में अधि‍क होती है। चावल का पानी आपके शरीर में पानी की कमी होने से बचाता है। बुखार होने पर चावल का पानी पीएं। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। जरूरी पोषक तत्व भी मिल जाएंगे। इस पानी में भरपूर कार्बोहाइड्रेड्स और अमीनो एसिड्स होते हैं। ये जो बॉडी को एनर्जी देते हैं।


आज हम 8 ऐसी बुरी आदतों के बारे में बात करेंगे, जिनमें से ज्यादातर बुरी आदतों को हम लगभग हर दिन दोहराते हैं. और ये आदतें हमें लगातार नुकसान पहुंचाती है. इन आदतों को सुधारकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.



समय बर्बाद करना – ज्यादातर लोग अपने समय को लेकर सतर्क नहीं रहते हैं और इस कारण वे हर दिन गैर जरूरी कामों में अपने कई घंटे बर्बाद कर देते हैं. और यह बुरी आदत ढेरों लोगों में पाई जाती है.


Health के लिए समय नहीं निकालना – हमलोग स्वस्थ्य तो रहना चाहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए समय नहीं निकालते हैं. अगर आप स्वास्थ्य के लिए समय निकालेंगे, तो आने वाले समय में कई परेशानियों से बचेंगे.
Internet – इन्टरनेट हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए है, लेकिन कुछ लोग इन्टरनेट का उपयोग
अपना समय बर्बाद करने के लिए करते हैं. हमें इन्टरनेट का उपयोग जरुर करना चाहिए लेकिन यह भी
ध्यान देना चाहिए कि इसका हमारे जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.
दूसरों की जिंदगी में बेवजह दखल देना – बहुत सारे लोगों की बुरी आदत होती है कि वे Directly या Indirectly दूसरों की जिंदगी में दखल देते रहते हैं. यह आदत न तो आपके लिए अच्छी है और न
सामने वाले व्यक्ति के लिए.
अपनी बुराइयाँ दूर न करना – ज्यादातर लोग अपनी बुराई देखने की कोशिश हीं नहीं करते हैं. और बहुत कम लोग अपनी बुराई दूर करने की कोशिश करते हैं. याद रखिए आप अपनी बुराइयों को दूर किए बिना अपनी जिंदगी को बेहतर नहीं बना सकते हैं.
खुद को बेहतर बनाने के लिए कोशिश न करना – हम में से ज्यादातर लोगों की समस्या यह है कि हम अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के ख्वाब तो देखते हैं लेकिन अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कुछ नहीं करते हैं.
अपने से कमजोर पर ताकत दिखाना – लगभग हर इन्सान की यह कमजोरी होती है कि वह अपने मन की भड़ास अपने से कमजोर व्यक्ति पर निकलता है.
सोचना बहुत ज्यादा पर करना कुछ भी नहीं – बहुत सारे लोग बहुत सारी चीजें सोचते हैं लेकिन करते
कुछ नहीं इसी कारण से वो अपने जीवन में कोई खास उपलब्धि न प्राप्त कर पाते हैं.

Monday, 26 June 2017

Benefits of Watermelon in Hindi:

गर्मी में लाल-लाल तरबूज किसे आकर्षित नहीं करता है. यह न केवल देखने में आकर्षक होता है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. इस लेख में हम जानेंगे, तरबूज के फायदे और तरबूज से जुड़ी अन्य बातें. 

तरबूज से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें :



  • तरबूज खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए. तरबूज खाने के लगभग आधा-एक घंटा बाद पानी पीना चाहिए.
  • तरबूज को हमेशा तुरंत काटकर खाना चाहिए, घंटो पहले कटा हुआ तरबूज नहीं खाना चाहिए.
  • तरबूज शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता है.
  • गर्मियों में तरबूज का नियमित सेवन वजन नियंत्रित करता है.
  • पानी और फाइबर से भरपूर होने के कारण तरबूज कब्ज नहीं होने देता है.
  • मुंहासे पर तरबूज को हल्का-हल्का लगा लें, फिर एक मिनट के बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें…. इससे फायदा पहुंचेगा.
  • तरबूज कैंसर के नये कण बनने से रोकता है.
  • पानी की अधिकता होने के कारण तरबूज त्वचा को चमकदार बनाता है.
  • तरबूज के टुकड़े में काली मिर्च का पाउडर, सेंधा नमक या काला नमक मिलाकर खाने से खट्टा डकार बंद हो जाता है.
  • तरबूज का सेवन मांसपेशियों के दर्द को कम करने में भी मदद करता है.
  • तरबूज हमारे बालों के लिए भी फायदेमंद है.
  • गर्मियों में तरबूज का नियमित सेवन रतौंधी और मोतियाबिंद से बचाता है.
  • तरबूज का 92 % भाग पानी होता है.
  • बासी तरबूज भूलकर भी नहीं खाना चाहिए.
  • तरबूज हमारी उर्जा का स्तर बढ़ाता है.
  • तरबूज खाने और पचाने में आसान होता है.
  • पानी के अत्यधिक मात्रा होने के कारण इसका सेवन वजन कम करने में भी मदद करता है.
  • जो लोग सुबह-सुबह थकावट महसूस करते हैं, उन्हें इसका सेवन जरुर करना चाहिये.
  • तरबूज का सेवन गर्भवती महिला के लिए भी लाभदायक है

Sunday, 2 April 2017

Yoga Breathing Exercise Kapalbhati Benefits:


योग के ही कुछ प्राणायाम और ध्यान की तकनीक को मिलाकर ही आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने सुदर्शन क्रिया और नव संन्यास तथा कम्यून कांसेप्ट के प्रणेता ओशो ने सक्रिय ध्यान की विधियाँ विकसित की हैं। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में ‍विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान है।

कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है।


कपालभाती प्राणायाम के फायदे:

विधि: 
सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।

● Timing = 15min in morning and 15 min evening in empty stomach. 
लाभ :
● यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियाँ और आँखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। 
● दाँतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। 
● शरीर की चरबी कम होती है। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है।
● शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।
● थायराइड को कम करता है।
● पेट का मोटापा कम करता है।
● कब्ज खत्म करने में मदद करता है। । पाचन तंत्र को बढता है।
● स्किन एलर्जी और संक्रमण का इलाज करता है।

Saturday, 18 February 2017

बच्चा चाहती हैं सुंदर और स्वस्थ तो जरूर खाएं नारियल:

नारियल हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुता अच्‍छा माना जाता है। चाहे वह कच्‍चा हो पक्‍का हो या फिर वह नारियल का पानी ही क्‍यों न हो, इसके सेवन कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। नारियल पानी में फाइबर, मैगनीशियम, कैल्‍शिम, विटामिन सी आदि बहुत सारे पोषक तत्‍व होते हैं। 

कई महिलाओं में यह गलत धारणा है कि गर्भावस्‍था के दौरान गर्भवती महिलाओं को नारियल पानी नुक्‍सान कर सकता है। पर अगर आप गर्भवती हैं तो आपको खूब सारा नारियल खाना चाहिए। आइये जानते हैं कि नारियल खाने के फायदे क्‍या-क्‍या हैं।

नारियल के फायदे:

1.गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं के अंदर कई हारमोनल बदलाव आते हैं जिनसे उन्‍हें बहुत सारी तकलीफ तथा परेशानी का समना करना पड़ता है। पर नारियल खाने से महिलाएं इन समस्‍याओं और परेशानी को आराम से रोक सकती हैं।

2. नारियल गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि नारियल में गर्भवती महिला और उसके बच्चे को पौष्टिकता देने की क्षमता है।

3.नारियल पानी पीने से पेशाब खुल कर होती है जिससे गर्भवती महिलाओं को मूत्र से संबधित सक्रंमण नहीं होगा। सिर्फ इतना ही नहीं पानी पीने से किडनी में स्‍टोन की भी कोई गुंजाइश नहीं होती। नारियल का पानी पीने से आपको पेशाब के दौरान होने वाली जलन से भी मुक्ति मिलेगी।

4.नारियल पानी कब्ज में राहत देता है, आंत से संबधित परेशानियों में सुधार करता है और पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। नारियल पानी पीने के लिए उन लोगों को सलाह दी जाती है जो अल्‍सर या फिर एसिडिटी से पीडित हैं।

5.नारियरल में बिल्‍कुल भी वसा नहीं होता तथा यह जीरो कोलेस्ट्रोल लिए होता है। इसके सेवन से महिलाओं में एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद करता है जो कि अच्छा माना जाता है। साथ ही इसके पानी पीने से गर्भवती महिलाओं में कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रि‍त करने में मदद करता है।

6.गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को थकान और डीहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है जिसे नारियल के सेवन से दूर किया जा सकता है।

7.नारियल के सेवन से इम्‍यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान एचआईवी, फ्लू, दाद इत्यादि से नारियल के सेवन से बचा जा सकता है। 

दरअसल, नारियल में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल तत्व पाए जाते हैं जो कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की रक्षा कर सकते हैं।

Friday, 17 February 2017

Nutritional diet is not enough for you to keep your health going. People pay a huge amount of money to get their health I'm control. Many people who are slim try to put on some weight but fail due to some hormonal deficiency in their bodies. Everybody knows getting slimmer is not an easy task. Also you need to take a proper and healthy lifestyle to make your body back into shape. The reason for which your body suffers a lot of toxins that invites many life-threatning diseases must be treated right away.

Role of a healthy diet in hand with meditation:


Diet when is filled with green leafy vegetables help your body get required proteins and vitamins that provides you a healthy lifestyle. Even though you intake vegetables the ingredients that you add with it like oil and salt must be cut down as it makes your cholesterol rise up. Many people get a heart or digestive organs related problems, which can be brought down by eating light yet doing a little mental yet physical exercise. For which you, don't need to take any efforts you can sit down in a proper posture and meditate by closing your eyes. 


7 Foods That Will Work Wonders On Your Digestion:


    Meditation makes you live calm and happy life as it is a spiritual way of calming the internal storms that makes you think and keep you stressed all the time.
    Meditations help in the removal of toxins, similar to that like a green tea does.
    With the help of meditation you can have a good perspective and your health will also be favorable for you for many years.
     There are many myths related to meditation as people then believed in meditation as it sharpens your mind and refreshes you and helps your food work in a positive ways.
    If you are spiritually into the meditative mood then you will be quite familiar with the story of Lord Shiva who uses to meditate most of his time in a quite area.

Thus, eat healthy and take some time out to keep your body balanced with the meditation regularly. Making it a habit can really work wonders for you and your loved ones. You can recommend meditation to anyone who is been going through a bad health phase.

Wednesday, 16 November 2016

आपका बच्चा बेवजह आपा खोए, हर समय सक्रिय रहे, फोकस न कर पाए, स्कूल में असामान्य हरकत करे, हर समय बोले या दूसरों को न बोलने दे तो विशेषज्ञ की सलाह लें क्योंकि यह एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर हो सकता है। इसकी जांच के  लिए कई तरह के ब्लड टेस्ट व हार्मोनल टेस्ट होते हैं। खानपान में गड़बड़ की पड़ताल कर मनोवैज्ञानिक उपचार किया जाता है। 



आधुनिक जीवनशैली का असर बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास की प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है। खेल के मैदान का स्थान प्ले स्टेशन ने ले लिया है। शिक्षा से लेकर खेलकूद तक हर क्षेत्र में उन पर प्रतियोगिताओं में आगे निकलने का दबाव पड़ रहा है।

बच्चो का गुस्सा शांत करने के तरीके:


खासतौर पर शहरों के एकल परिवारों में माता-पिता यदि दोनों वर्किंग हैं, तो बच्चे अकेलेपन से भी जूझ रहे हैं। इन सब कारणों से बच्चों में चिड़चिड़ापन और जल्दी गुस्सा एक आम समस्या हो गई है। आमतौर पर माता-पिता इसे बच्चे की बदतमीजी और नादानी का नाम देकर नजरअंदाज कर देते हैं।

जाने बच्चे में गुस्सा आने की वजह क्या, और इस से कैसे बचा जा सकता है ?


मनोचिकित्सक कहते हैं, माता-पिता को बच्चे की गलत आदतों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उसके कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। संभव है कि खेलकूद न कर पाने या स्कूल में कोई विषय न समझ आने के कारण या फिर दोस्तों के बीच झगड़ा व नाराजगी के कारण बच्चा चिड़चिड़ा व्यवहार कर रहा हो। माता-पिता की अटेंशन पाने के लिए भी बच्चा छोटी बातों पर गुस्सा होने लगता है।जानते हैं इसके बारे में।

दूसरों के सामने डांटें नहीं, अकेले में समझाएं 
आमतौर पर माता-पिता हाइपरएक्टिव बच्चे के स्वभाव को बद्तमीजी मानकर बार-बार दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने डांटते-फटकारते रहते हैं। लंबे समय तक ऐसा करना बच्चे की मानसिकता, आत्मविश्वास और दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ उनके व्यवहार पर नकारात्मक असर डालता है। बच्चे के आसपास ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करें, जिससे बच्चा अपनी हाइपरएक्टिविटी से बाहर आ सके। यदि बच्चे को किसी काम से रोकना है तो उसे दूसरों के सामने न डांटकर अकेले में समझाएं।

माना कि आपके पास कई तरह की जिम्मेदारियां और तनाव हैं, पर जरूरी होगा कि अपने गुस्से, चिड़चिड़ापन और चिंताओं पर नियंत्रण रखें। खुद को चिंतामुक्त रखने के लिए बाहर घूमना या अन्य मनोरंजन के तरीके ढूंढ़ें। बच्चे को अपनी चिंताओं के लिए दोष न दें। सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास करें।

कैसा रखें अपना व्यवहार
हाइपरएक्टिव बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखना जरूरी है। नियमित रूप से उसकी स्कूल टीचर से मिलते रहें। इससे बच्चे के व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी। टीचर को वजह बताते हुए बच्चे को आगे वाली सीट पर बिठाने का अनुरोध भी कर सकते हैं। यदि बच्चे को ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के काम या किताबों को दूसरे बच्चों में वितरित करने में व्यस्त रखा जाए तो उनकी हाइपरएक्टिविटी पर काबू पाया जा सकता है।

बच्चे को वश में करने का टोटका:

हाइपरएक्टिव बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलकूद और बाहरी एक्टिविटीज में व्यस्त रखना जरूरी होता है। बच्चे को डांस या आर्ट क्लास में भेज सकते हैं। समय-समय पर उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने के लिए बाहर ले जाना भी अच्छा है। इससे बच्चे की अतिरिक्त शारीरिक ऊर्जा व्यय होगी और आत्म अभिव्यक्ति व सामाजिक व्यवहार की समझ भी विकसित होगी।

बच्चा यदि ज्यादा हाइपरएक्टिव है तो बच्चे की मन:स्थिति का विश्लेषण करने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह लें। हाइपरएक्टिव बच्चों के लक्षण एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर) से काफी मिलते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों में एडीएचडी की समस्या 3-7% तक देखी गई है। इससे न केवल बच्चे के आत्मसम्मान पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि आसपास के लोगों के साथ उनके संबंध भी प्रभावित होते हैं। 

एडीएचडी एक दिमागी जैविक बीमारी है, जिसका इलाज दवाओं द्वारा किया जा सकता है। ऐसे में बच्चे को विशेष रूप से शिक्षा तथा थेरेपी दी जाती हैं, ताकि बच्चा अपने क्रोध व अतिसक्रियता पर नियंत्रण करना सीख सके।

Monday, 14 November 2016

यह गरम मसाला तो है ही यह पाचन, वातहर, स्तंभण, गर्भाशय उत्तेजक, गर्भाशय संकोचक एवं शरीर उत्तेजक है। दालचीनी का तेल उत्तेजक है। दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, और बैक्टीरियारोधी है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई हैं।दालचीनी का तेल बनता है। दालचीनी, साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है। 


Health Benefits of Dalchini:

  • चाय, काफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।
  • - दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
  • - दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए। दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रातभर रहने देते है। मालिश अगरदिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं।
  • - दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है
  • - दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।
  • - रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • - दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
  • - ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
  • - दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
  • - दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
  • - मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
  • - दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
  • - दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं
  • - आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है। 
  • -गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या बेहद आम है। इससे छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं।
  • - एक चम्मच दालचीनी पाउडर और पांच चम्मच शहद मिलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।
  • - सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।
  • - पेट का दर्द-शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है। 
  • - खाली पेट रोजाना सुबह एक कप गरम पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।

दालचीनी के अद्भुत स्‍वास्‍थ्‍य लाभ:


मधुमेह के रोगियों के लिए :
दालचीनी मधुमेह को सन्तुलित करने के लिए एक प्रभावी ओषधि है, इसलिए इसे गरीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं।

यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हैं वे इसके सेवन से ब्लड शुगर को कम कर सकते है।

सावधानी:- दालचीनी अल्प मात्रा में लें, इसे अधिक मात्रा में लेने से हानि हो सकती है। रोजाना थोड़ा-थोड़ा हीं सेवन करें। दालचीनी का सेवन करने से पहले आप अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

सेवन विधि:-
• 1 कप पानी में 1 छोटा चमच दालचीनी पाउडर को उबालकर, छानकर रोजाना सुबह पियें। इसे कॉफी में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने से मधुमेह में लाभ होगा। 
• रोज तीन ग्राम दालचीनी लेने से न केवल रक्त शर्करा की मात्रा कम होती है, बल्कि सही से भूख भी लगती है। 
• दालचीनी को पीसकर चाय में चुटकी भर मिलाकर रोज दिन में दो तीन बार पीएं। इससे मधुमेह की बीमारी में आराम मिलेगा। 
• दालचीनी और पानी के घोल के प्रयोग से रक्त में शर्करा के स्तर में कमी आ जाती है।
हृदय एवं हृदय-रोग:
शहद और दालचीनी के पाऊडर का पेस्ट बनाएँ और घी या जेली के स्थान पर इसे रोटी पर चुपड़कर खाएँ. इससे आपकी धमनियों में कॉलेस्ट्रोल जमा नहीं होगा और स्वस्थ लोग अगर इसका सेवन करें तो हार्ट-अटेक की सँभावना से सदैव बचे रहेंगे. जिन लोगों को एक बार हार्ट-अटेक का दौरा पड़ चुका है अगर वे इस प्रयोग को करेंगे तो अगले हार्ट अटेक से बचे रहेंगे. इसका नियमित उपयोग करने से साँस फूलने की कठिनाई दूर होती है तथा हृदय की धडकन में शक्ति का समावेश होता है.

जोड़ एवं संधिवात रोग:
संधिवात के रोगी को दो बड़े चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पाऊडर एक गिलास मामूली गर्म जल के साथ सुबह-शाम सेवन कराएँ. साथ ही नाश्ते से पूर्व एक बड़ा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पाऊडर का मिश्रण, गरम पानी के साथ देवें. इस प्रयोग से केवल एक सप्ताह में ही रोगी संधिवात के दर्द से करीब-करीब मुक्त हो जाता है. एक महीने के प्रयोग से तो ऐसे रोगी, जो संधिवात की वजह से चलने फिरने में असमर्थ हो गये हों, वे भी चलने फिरने लायक हो जाते हैं.

मूत्राशय का संक्रमण:
यूरिनरी-ब्लेडर में इन्फ़ेक्शन होने पर दो बड़े चम्मच दालचीनी का पाऊडर और एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर गरम पानी के साथ देने से मूत्रपथ के रोगाणु नष्ट हो जाते हैं.

कोलेस्टरोल घटाने के लिये:
बढ़े हुए कॉलेस्ट्रोल की स्थिति में दो बड़े चम्मच शहद और तीन छोटे चम्मच दालचीनी पाऊडर को आपस में मिलाकर आधा लीटर मामूली गरम जल के साथ लेने पर सिर्फ़ २ घंटे में ही रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर १० प्रतिशत नीचे आ जाता है. और रोजाना कुछ दिनों तक, लगातार दिन में तीन बार लेते रहने से बढ़े-कॉलेस्ट्रोल से पीड़ित पुराने रोगी भी ठीक हो जाते हैं.

पेट की समस्याएँ:
शहद और दालचीनी के पाऊडर का मिश्रण लेने से पेट-दर्द और पेट के अल्सर जड़ से ठीक हो जाते हैं. जापान और भारत में किये गये रिसर्च से साबित हुआ है कि दालचीनी और शहद के प्रयोग से उदर की गैस का भी समाधान हो जाता है.

मुँहासे:
तीन बड़े चम्मच शहद और एक छोटी चम्मच दालचीनी पाऊडर का पेस्ट बनाकर रात को सोते वक्त चेहरे पर लगा लें और अगली सुबह गरम जल से धो लें. दो सप्ताह के प्रयोग से मुँहासे समाप्त होकर चेहरा कांतिमय बन जाता है.

त्वचा विकार:
दालचीनी और शहद की समान मात्रा को मिलाकर एक्ज़ीमा, दाद आदि पर लगाने से अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं, और अगर स्वस्थ व्यक्ति इस प्रयोग को अपनाएँ तो उन्हें कभी ये रोग नहीं होते हैं.

मोटापा निवारण:
एक छोटा चम्मच दाल चीनी पाऊडर एक गिलास जल में उबालें फ़िर आँच से उतारकर इसमें दो बड़े चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ते से ३० मिनिट पूर्व सहता हुआ गरम पिएँ. ऐसा ही रात को सोने के पहले करें. यह उपचार नियमित रूप से लेने से शरीर की अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है साथ ही ज्यादा कैलोरी वाला भोजन लेने पर भी शरीर में चर्बी नहीं बढ़ती है.

कैंसर:
जापान और आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा आमाशय और अस्थि कैंसर की बड़ी हुई स्थिति को दालचीनी और शहद के उपयोग से पूरी तरह काबू में किया जा चुका है. ऐसे रोगियों को बस नियमित रूप से रोजाना, एक बडा चम्मच शहद और एक छोटी चम्मच दालचीनी के पाऊडर को प्रातः एवं सायंकाल एक गिलास गरम जल के साथ एक माह तक लेना चाहिये.

बहरापन:
दालचीनी और शहद बराबर मात्रा में लेने से बहरेपन में फायदा होता है. दिन में दो बार लेना हितकर है.

दीर्घ जीवन:
लंबी उम्र के लिये दालचीनी और शहद का नियमित उपयोग करें. इस हेतु तीन गिलास पानी उबालने के बाद इसमें चार छोटी चम्मच शहद और एक छोटी चम्मच दालचीनी का पाऊडर मिलाएँ, ऐसा एक चौथाई गिलास मिश्रण हर तीसरे घंटे से पिएँ. इससे त्वचा स्वच्छ और झुर्री रहित बनाने में मदद मिलती है. यह बुढ़ापे को दूर रखने का सर्वोत्तम उपाय है. 

रोग-प्रतिरोधक तंत्र:
शहद और दालचीनी के उपयोग से खून में श्वेत रक्त कणों की वृद्धि होती है और शरीर का इम्युन-सिस्टम ताकतवर बनता है. जिससे शरीर की रोगाणु और वायरस के हमले से सुरक्षा होती है. शरीर की जीवाणु और वायरल बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है.

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Thursday, 10 November 2016

आंख हमारे शरीर का सबसे अधिक आकर्षण वाला हिस्सा ही नहीं, बल्कि सबसे उपयोगी अंग भी है। इसका सिर्फ खूबसूरत होना तबतक मायने नहीं रखता जबतक कि आपके आंखों की रोशनी भी सलामत न हो, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो या तो 


आपकी खूबसूरत आंखों को चश्मे के मोटे-मोटे फ्रेम की नज़र लग जाएगी या फिर लेंस लगाने के झंझटों में फंसे ही रहेंगे। आज इण्टरनेट का युग है टी.बी,मोबाइल, लेपटाप व अन्य डिवाइसों के बिना रहना अगर असम्भव नही तो कठिन अवश्य है।

आँखों की देखभाल एवं घरेलु नुस्खे:

हम जानते है कि आँखें हमारे शरीर का ही अंग हैं और उनकी रोशनी कम होने का मतलव है कि आपके शरीर में कमजोरी आ गयी है।और शरीर की कमजोरी बनती है आपके पेट से अगर आपका पेट साफ रहता है तो रोग आपके आस पास भटकेगा भी नही |

अतः आँखों का इलाज करने से पहले आपका पेट साफ होना चाहिए।

आँखों की देखभाल एवं घरेलु नुस्खे :
सामान्य उपाय ---
1- Early to bed & Early to rise makes a man healthy wealthy & wise.
के अनुसार जल्दी सोयें जल्दी जागें ।
2-उठते ही रात में रखा हुआ ताँवे के वर्तन का जल प्रतिदिन पियें।
3- भोजन हमेशा ताजा व पालथी लगाकर ही करें।
4- रोजाना टहलने जरुर जाएं।
5- 10 ग्राम गुलकन्द दूध के साथ लें

नेत्र ज्योति वर्धक उपाय
रात को दो गिलास पानी को एक वर्तन में ले लें तथा एक मुठठी आँवला उसमें डाल कर फूलने रख दें ध्यान रखें आँवलों को पहले साफ कर लें।सुवह को आँवलों को मसल कर यदि ठण्ड का समय है तो आँवलों के पानी को थोड़ा कुनकना कर लें वाद में मसलें तथा छान लें एक चुटकी मेथी दाना मुँह में डाल कर आधा पानी पी जाऐं।
वाकी पानी से आँखें धो लें। इस नुस्खे से आँखो की रोशनी भी बढे़गी साथ ही साथ कब्ज भी दुर होगी |
प्राणायाम :
प्राणायाम आंखों की रोशनी को सही और आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है।इसे करने के लिए आप सबसे पहले ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और पीठ सीधी रखें। अब आंखें बंद रखकर लंबी सांस लें और फिर छोड़ें। इस क्रिया को लगातार करें। 

अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ लें और गर्म हाथों को तेजी से आंखों पर रखें। ऐसे करने के बाद कुछ पल के बाद हाथ हटाएं और फिर धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें। ऐसा करें तो आपकी आंखें भी हर पल आपका साथ देंगी।

नज़र को ज़रा दूर दौड़ाएं: 
इसके लिए कोई ऐसा केन्द्र चुनें जो आपकी नज़र में सबसे दूर मौजूद हो। अब उसे ध्यान से देखने की कोशिश करें और तकरीबन 5-7 मिनट तक ऐसा जरूर करें। ऐसा रेग्युलर करते रहने से आंखों को रोशनी बढ़ती है।

बीच-बीच में अपनी पलकें झपकाएं आंखें थक जाए तो बीच में रुकिए और कुछ सेकंड तक अपनी पलकें लगातार झपकाएं और फिर तेजी से बंद कर लें और फिर थोड़ी देर बाद खोलें। समझिए, आपको आंखों को रिफ्रेशमेंट मिल गया।

इसके अलावा रात में खुले आसमान के नीचे रहने का मौका मिले तो एकटक से चांद-सितारों को देखने की कोशिश करें। सूर्य और ऐसे किसी चीज पर नज़र गड़ाने की कोशिश न करें जिससे तेज रोशनी निकल रही हो।

नाक की तरफ अपनी दोनों आंखों को फोकस करें और उसके कुछ पल बाद किसी अन्य वस्तु पर नज़र फोकस करें। यह एक्सरसाइज़ सुबह सवेरे कम से कम 10 बार करें तो आंखों को फायदा होगा।

इसके अलावा काम के बीच-बीच में आंखों को गोलाकार करके घुमाएं। पहले घड़ी की दिशा में घुमाएं और फिर तीन-चार राउंड के बाद घड़ी के विपरीत दिशा में घुमाएं। आप इसे ऊपर-नीचे या बाएं-दाएं भी घमा सकते हैं।

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Tuesday, 8 November 2016

आमतौर पर देखा गया है कि लोग उठते ही गर्म पानी या फिर निम्बू पानी का सेवन करते है जिससे कि उनका पेट साफ़ हो और खुल कर शरीर की गंदगी बाहर निकल जाए 

वैसे तो ये है ही फायदेमंद ,मगर यदि इसमें थोड़ी सी हल्दी यदि मिक्स कर दी जाए तो इसके गुणों में भारी इजाफा हो जाता है -



एक गिलास पानी में आप आधा नीबू निचोड़ कर उसमे चौथाई चम्मच हल्दी मिला करचला कर मिक्स कर ले फिर उसमे आधा या फिर पूरा एक चम्मच अपनी आवश्यकता अनुसार शहद मिला ले और इसका सेवन करे।

benefits of turmeric water:

1. आपको पता है कि हल्दी एक ताकतवर एंटी-आक्सीडेंट भी है एंटी-कैंसर के गुणों से भरपूर है ये, इसमें करक्यूमिन होने के कारण कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं से भी लडती है।

2. क्या आप जानते है कि हल्दी का सेवन रोज करने से पित्त जादा बनता है जिससे हमारे खाने को पचाने की क्षमता विकसित हो जाती है लेकिन अधिक मात्रा किसी भी चीज की नुकसानदायक होती है।

*. शरीर में सूजन कितनी भी क्यों न हो हल्दी सूजन को कम करने में सहायक हैइसमें करक्यूमिन नामक एक रसायन पाया जाता है जो दवा के रूप में काम करता है 

इसीलिए आपने देखा होगा किसी को भी चोट लग जाती है तो हमारे बुजुर्ग हल्दी दूध में डालकर पिलाते थे।
हल्दी दिमाग के लिए भी फायदेमंद होती है जिनको भूलने जैसी बिमारी है वो इसका सेवन करके अपनी इस बिमारी को काफी हद तक कम कर सकते है

जिन लोगो की खून की धमनियों में ब्लाकेज की शिकायत है उनको तो अवस्य हीहल्दी वाला पानी सेवन करना लाभदायक है क्योकि हल्दी खून को जमने से रोकता है 

अदरक भी खून को पतला रखती है और ब्लाकेज से बचाती है।
जो लोग नियमित हल्दी वाला पानी उपयोग करते है उनके चेहरे व शरीर पर रैडिकल्स कम होते है इससे आपके शरीर पर उम्र का असर कम दीखता है।

**यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए-तो हल्दी वाला दूध उसे जल्द से जल्द ठीक करने में बेहद लाभदायक है क्योंकि यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता।

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