हम क्यों मनाते हैं बाल दिवस ? | Happy Children Day 2017

Showing posts with label Pregnancy. Show all posts
Showing posts with label Pregnancy. Show all posts

Monday, 17 July 2017

गर्भावस्था के दौरान अपनाएं यह डाइट चार्ट:

गर्भावस्था के दौरान अपने डायट चार्ट में जरूरी पोषक तत्वों को करें शामिल |
● गर्भवती होने के बाद नियमित व्यायाम अवश्य करें, इससे फिटनेस बनी रहती है।
● प्रेग्नेंट महिला को गर्भधारण के बाद 300 अतिरिक्त कैलोरी की होती है जरूरत।
● अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल कीजिए।
● ज्यादा भार न उठायें, ज्यादा काम करने से बचें और भरपूर आराम जरूर करें।


Diet chart during pregnancy month by month in Hindi:


● गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए आम तौर पर मिले-जुले अनुभव लेकर आता है, कभी उन्हें आने वाले शिशु की चिंता सताती है। इस दौरान आपको होने वाले बच्चे का भी ध्यान रखना पड़ता है। यदि आपने खान-पान या नियमित होने वाली जांच में अनियमितता बरती तो यह आप और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो |

● तो कभी यह अनुभव उनके लिए सुखदायी होता है। चिकित्सकों के परामर्श अनुसार महिलाएं आजकल आराम पर भी ध्यान देती हैं, लेकिन व्यायाम पर ध्यान नहीं देतीं। 

स्वस्थ व सुरक्षित गर्भावस्था में व्यायाम भी उतना ही आवश्यखक है, जितनी दूसरी बातें। आइए हम आपको उचित और अनुचित के बारे में जानकारी दे रहे हैं।


गर्भावस्था में देखभाल:

1) व्यायाम करें :
गर्भवती होने के बाद यदि आप नियमित व्यायाम कर रही हैं तो इससे आप न केवल फिट रहेंगी बल्कि सामान्य प्रसव की संभावना भी बढ़ेगी। इसलिए नियमित व्यायाम अवश्य करें, ज्यादा थकाऊ व्यायाम की जगह हल्के फुल्के व्यायाम ही करें। सैर करें, यह आसान भी है।

यदि आप गर्भावस्था से पहले से ही व्यायाम करती आ रही हैं, तो चिकित्सक और ट्रेनर से संपर्क के बाद ही व्यायाम की शुरूवात करें। व्यायाम करने से रक्त संचार सुचारु होता है, 

अंतिम चरण तक चलते-फिरने, उठने-बैठने में परेशानी नहीं होती, कब्ज़ की शिकायत दूर होती है और थकान भी कम होती है।

2) आपका खानपान :-

गर्भवती महिला को लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। इस दौरान आपको पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए, इसलिए अपने आहार में प्रोटीन, विटामिन, आयर, कैल्शियम आदि जरूर शामिल करें। यदि सुबह आपका जी मचलता है, तो पर्याप्त मात्रा में पानी पियें और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार खायें और अच्छी नींद लें। सुबह उठने के साथ ही नाश्ता ज़रूर करें।

3) इन बातों पर रखें नज़र :- 

● सुबह अचानक बिस्तर से ना उठें।
● आपकी त्वचा अत्यंत रूखी हो रही है, तो माश्चराइज़र का प्रयोग करें।
● कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शरीर में दर्द की शिकायत रहती है, ऐसा होने पर सोने से पहले शरीर की मालिश करें।
● ज्यादा भार न उठायें, काम करने से बचें और आराम भरपूर करें।

गर्भावस्था के दौरान सर्वश्रेष्ठ भोजन:

diet chart during pregnancy month by month in hindi, pregnancy diet chart in hindi, pregnancy diet chart month by month, diet during pregnancy for fair baby, 8 month pregnancy diet in hindi, Top 10 pregnancy diet chart

Friday, 14 July 2017

आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बाँझपन का कारण हो सकता है। यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं 

Ayurvedic treatment of infertility in hindi:




स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है-
पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं। 
दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी…



मनुष्यों में एक वर्ष तक प्रयास करते रहने के बाद अगर गर्भधारण नहीं होता तो उसे बन्ध्यता या अनुर्वरता
कहते हैं। यह केवल स्त्री के कारण नहीं होती। केवल एक तिहाई मामलों में अनुर्वरता स्त्री के कारण होती है।

बांझपन का आयुर्वेदिक उपचार:

दूसरे एक तिहाई में पुरूष के कारण होती है। शेष एक तिहाई में स्त्री और पुरुष के मिले जुले कारणों से या
अज्ञात कारणों से होती है।

अनुर्वरता के मुख्य कारण
लगभग 15% युगल अपनी पहली गर्भावस्था के प्रयास में विफल होते है यदि नए युगल संभोग के एक वर्ष के बाद भी गर्भावस्था को प्राप्त करने में असमर्थ होते है तो ऐसे रोगियों में बांझपन की समस्या हो सकती है परिभाषित. तथ्य यह है कि सभी बांझपन का सामना कर रहे जोड़ों का 60%, एक पुरुष कारक शामिल है. जबकि subfertility मामलों का लगभग 40% में अकेले पुरुष में और दूसरा 20% में दोनों पुरुष और महिला रहे हैं. कुछ शारीरिक दोषों के कारण (अल्पशुक्राणुता) गिनती और शुक्राणु की गुणवत्ता खराब हो जाती है जिसके कारण पुरुष बांझपन के लिए जिम्मेदार होते हैं कुछ कारण अस्पष्टीकृत होते है, जैसे गंभीर बीमारी, कुपोषण, आनुवंशिक असामान्यताएं, प्रदूषण, और भी कुछ दवाओं, हार्मोन और रसायनों के दुष्प्रभावों के मामलों के बाकी हिस्सों में जिम्मेदार हैं. (संक्षेप में, यह संख्या लेकिन शुक्राणु की गुणवत्ता कि प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण है नहीं है).

पुरूष के सम्पूर्ण स्वास्थ्य एवं जीवन शैली का प्रभाव शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता
है। जिन चीज़ों से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता घटती है उस में शामिल हैं – मदिरा एवं ड्रग्स वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं, धूम्रपान, मम्पस का इतिहास, कुछ विशिष्ट दवाँएं तथा कैंसर के कारण रेडिएशन।

*.अंडे की गुणवत्ता
*.अवरुद्ध अण्डवाही ट्यूबें
*.असामान्य हार्मोन के स्तर
*.जीवन शैली
*.यौन संचारित रोग
*.मोटापा
*.शुक्राणु बनने की समस्य – बहुत कम शुक्राणू या बिलकुल नहीं।
*.मदिरा, ड्रग्स एवं सिगरेट पीना
*.वातावरण का विषैलापन जैसे कीटनाशक दवाएं यौनपरक संक्रमण से अनुर्वरकता यौनपरक संक्रमण के कारणभूत जीवाणु गर्भाशय और ट्यूबों की ग्रीवा में प्रवेश पा सकते हैं और अण्डवाही ट्यूबों के अन्दर की त्वचा को अनावृत (नंगा) कर देते हैं हो सकता है कि अन्दर पस बन जाए। 

एन्टीबॉयटिक बगैरह खा लेने से यदि वह ठीक भी हो जाए तो भी हो सकता है कि ट्यूब के अन्दर की नंगी
दीवारें आपस में जुड़कर टूयूब को बन्द कर दें और अण्डे को या वीर्य को आगे न बढ़ने दें सामान्यतः गर्भ धारण के लिए अण्डा और वीर्य ट्यूबों में मिलते हैं तो उर्वरता होती है।
अधिक आयु
बच्चे को जन्म देने की सम्भावनाएं बढ़ती उम्र के साथ निम्न कारणों से घटती है
*.उर्वरण के लिए तैयार अण्डे के निष्कासन की सामर्थ्य में बढ़ती उम्र के साथ कमी आ जाती है।
बांझपन का इलाज
*.बढ़ती उम्र के साथ ऐसी स्वास्थ्यपरक समस्याएं हो सकती है जिनसे उर्वरकता में बाधा पड़े।
*.साथ ही गर्भपात की सम्भावनाएं भी बहुत बढ़ जाती हैं।
बांझपन की दशा में...
1 * सेमर की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम पानी में पकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के बाद चार दिन तक इसका सेवन करें।

2.  50 ग्राम गुलकंद में 20 ग्राम सौंफ मिलाकर चबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्लास दूध नियमित रूप से पिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल सकती है।

3 गुप्तांगों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। खाने में जौ, मूंग, घी, करेला, शालि चावल, परवल, मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर शामिल करें।

4 * पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में औटाएं और उसे छानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से पीना शुरू करें
और 7 दिनों तक प्रयोग करें।

5 * पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख लें। मासिक धर्म के बाद 5-10 ग्राम चूर्णं खाकर ऊपर से कच्चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से 14 दिन तक करें।

6 * मासिक धर्म के बाद से एक सप्ताह तक 2 ग्राम नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें। आपको
फाएदा होगा।

7 * 5 ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे महिला गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
गर्भधारण हेतू कुछ उपाय
8 * तीन ग्राम गोरोचन, 10 ग्राम असगंध, 20 ग्राम गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं बनाएं। फिर पीरिएड के चौथे दिन से निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ पिएं।

9 * महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी विकृतियां दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्य होगी।

10.. 10 ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपल जटा जौकुट करके 500 मि.ली. दूध में पकाएं। जब वह मात्र 200 मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमें चीनी और शहद मिलाकर पीरिएड होने के 5वें या 6ठे दिन से खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है।

Saturday, 18 February 2017

बच्चा चाहती हैं सुंदर और स्वस्थ तो जरूर खाएं नारियल:

नारियल हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुता अच्‍छा माना जाता है। चाहे वह कच्‍चा हो पक्‍का हो या फिर वह नारियल का पानी ही क्‍यों न हो, इसके सेवन कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। नारियल पानी में फाइबर, मैगनीशियम, कैल्‍शिम, विटामिन सी आदि बहुत सारे पोषक तत्‍व होते हैं। 

कई महिलाओं में यह गलत धारणा है कि गर्भावस्‍था के दौरान गर्भवती महिलाओं को नारियल पानी नुक्‍सान कर सकता है। पर अगर आप गर्भवती हैं तो आपको खूब सारा नारियल खाना चाहिए। आइये जानते हैं कि नारियल खाने के फायदे क्‍या-क्‍या हैं।

नारियल के फायदे:

1.गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं के अंदर कई हारमोनल बदलाव आते हैं जिनसे उन्‍हें बहुत सारी तकलीफ तथा परेशानी का समना करना पड़ता है। पर नारियल खाने से महिलाएं इन समस्‍याओं और परेशानी को आराम से रोक सकती हैं।

2. नारियल गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि नारियल में गर्भवती महिला और उसके बच्चे को पौष्टिकता देने की क्षमता है।

3.नारियल पानी पीने से पेशाब खुल कर होती है जिससे गर्भवती महिलाओं को मूत्र से संबधित सक्रंमण नहीं होगा। सिर्फ इतना ही नहीं पानी पीने से किडनी में स्‍टोन की भी कोई गुंजाइश नहीं होती। नारियल का पानी पीने से आपको पेशाब के दौरान होने वाली जलन से भी मुक्ति मिलेगी।

4.नारियल पानी कब्ज में राहत देता है, आंत से संबधित परेशानियों में सुधार करता है और पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। नारियल पानी पीने के लिए उन लोगों को सलाह दी जाती है जो अल्‍सर या फिर एसिडिटी से पीडित हैं।

5.नारियरल में बिल्‍कुल भी वसा नहीं होता तथा यह जीरो कोलेस्ट्रोल लिए होता है। इसके सेवन से महिलाओं में एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद करता है जो कि अच्छा माना जाता है। साथ ही इसके पानी पीने से गर्भवती महिलाओं में कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रि‍त करने में मदद करता है।

6.गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को थकान और डीहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है जिसे नारियल के सेवन से दूर किया जा सकता है।

7.नारियल के सेवन से इम्‍यून सिस्टम को मजबूत बनाया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान एचआईवी, फ्लू, दाद इत्यादि से नारियल के सेवन से बचा जा सकता है। 

दरअसल, नारियल में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी वायरल तत्व पाए जाते हैं जो कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की रक्षा कर सकते हैं।

Thursday, 24 November 2016

चाहती हैं नॉर्मल डिलीवरी तो करें ये उपाय:

नार्मल डिलिवरी सिजेरियन डिलिवरी से ज्यादा सही होती है। क्योंकि सिजेरियन डिलिवरी करवाने पर स्ट्रैच मार्क्स आते है। साथ ही सिजेरियन डिलिवरी के बाद कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जबकि नार्मल डिलिवरी में ऐसी कोई भी बड़ी समस्या नहीं आती। इसलिए ज्यादातर गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी नहीं, बल्कि नार्मल डिलिवरी करवाना पसंद करती हैं।

चाहती हैं नॉर्मल डिलीवरी तो करें ये उपाय  

Pregnancy Tips For Normal Delivery in Hindi:

कैसे हो नार्मल डिलिवरी
1) अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें
बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता। अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुशकिल होगा। इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखें। ताकि आपको उस वक्त कम से कम तकलिफ हो।

2) अच्छा भोजन करें
गर्भवस्था के दौरान आपने डॉक्टर के कहे अनुसार ही भोजन करें। नार्मल डिलिवरी में आपके शरीर से दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड जाता है। इसलिए ताकत और पोषण के लिए खाने में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें।

Five Easy Tips for Normal Delivery in Hindi:


3) शरीर में पानी की कमी से बचें
आपके गर्भाशय में शिशु एक तरल पदार्थ से भरी हुई झोली एमनियोटिक फ्लयूड में रहता है। जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरुरी है। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती।

4) पैदल चलें और टहलते रहें
गर्भवति महिलाओं के लिए आराम जरूरी है, लेकिन इसका अर्थ अपने काम से जी चुराना नहीं है। कोशिश करें आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा फर्क न आए। दफ्तर और घर के काम सामान्य रूप से ही करती रहें। पैदल चलना और टहलना आपके लिए अच्छा रहेगा। बाजार तक जाना हो तो कार या किसी वाहन के स्थान पर पैदल ही जाएं तो बेहतर। ऑफिस में भी जरा घूम-फिर लिया कीजिए।

5) एक्ससाइज
अगर आप प्रेगनेंट होने के पहले से ही रोजाना एक्ससाइज करती आ रहीं हैं, तो नार्मल डिलिवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भवस्था के दौरान आप कोई फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर सकती है, जो आपकी मासपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण दे सके। प्रसव के दौरान मजबूत मासपेशियों का होना बहुत जरूरी है।

इन उपायों को आजमाने से आपको स्वस्थ गर्भावस्था तो मिलेगी ही साथ ही आपका प्रसव भी काफी आरामदेह तरीके से हो सकेगा। याद रखिए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का कोई विकल्प नहीं है। इससे गर्भावस्था के दौरान आप स्वस्थ रहती हैं और आपका बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है।

Normal Delivery ke 10 Aasan Upay::

tips for normal delivery in ninth month, ayurvedic tips for normal delivery in hindi, pregnancy exercise for normal delivery in hindi, normal delivery ke lakshan, normal delivery ke upay in hindi, baby delivery in hindi, pregnancy tips week by week in hindi

Friday, 18 November 2016

1, शिवलिंगी के 9-9 बीज दूध या पानी में घोंटकर प्रातःकाल खाली पेट मासिक के पाँचवें दिन से चार दिन तक लेने से लाभ होता है।


2. अश्वगंधा के काढ़े में घृत पकाकर यह घृत एक तोला मात्रा में ऋतुकाल में स्त्री यदि सेवन करे तो उसे गर्भ रहता है। (एक किलो अश्वगंधा के बोरकूट चूर्ण को 16 लीटर पानी में उबालें। चौथाई भाग अर्थात् 4 लीटर पानी रह जाने पर उसमें 1 किलो घी डालकर उबालें। जब केवल घी बचे तब उसे उतारकर डिब्बे में भर लें। यही घृत पकाना है।)

Garbhdharan, Pregnency ke upay kaise kre:

3. दूध के साथ पुत्रजीवा की जड़, बीज अथवा पत्तों के एक तोला चूर्ण को लेने से, ब्रह्मचर्य का पालन करने से, तीन महीने तक यह प्रयोग करने से बाँझ को भी संतान प्राप्ति हो सकती है। जिनके बालक जन्मते ही मर जाते हों उनके लिए भी यह एक अकसीर प्रयोग है। पुत्रजीवा के बीजों की माला पहनने से भी लाभ होता है।

गर्भस्थापक::-
रात को किसी मिट्टी के बर्तन में 25 ग्राम अजवायन, 25 ग्राम मिश्री 25 ग्राम पानी में डुबाकर रखें। सुबह उसे पीसकर पियें।

भोजन में बिना नमक की मूँग की दाल व रोटी खायें। यह प्रयोग मासिक धर्म के पहले दिन से लेकर आठवें दिन तक करना चाहिए।

गर्भरक्षा ::-
प्रथम प्रयोगः जिस स्त्री को बार-बार गर्भपात को जाता हो उसकी कमर में धतूरे की जड़ का चार उँगल का टुकड़ा बाँध दें। इससे गर्भपात नहीं होगा। जब नौ मास पूर्ण हो जाय तब जड़ को खोल दें।

दूसरा प्रयोगः जौ के आटे को एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है।

सुन्दर बालक के लिए :-
नारियल का पानी पीने से अथवा नौ महीने तक रोज बबूल के 5 से 10 ग्राम पत्ते खाने से गर्भवती स्त्री गौरवर्णीय बालक को जन्म देती है। फिर चाहे माता-पिता श्याम ही क्यों न हों।

गर्भिणी की उलटी :-
बेल का 5 ग्राम गूदा एवं धनिया का 50 मि.ली. पानी मिलाकर पीने से अथवा कपूरकाचली के 2 ग्राम चूर्ण को 10 मि.ली. गुलाबजल में मिश्रित करके लेने से गर्भिणी की उल्टी शांत होती है।

गर्भिणी के पेट की जलन :-
10-15 मुनक्के का सेवन करने से अथवा बकरी के 100 से 200 मि.ली. दूध में 10 से 20 ग्राम सोंठ पीसकर लेने से लाभ होता है।

Thursday, 17 November 2016

 Foods to Increase Breast Milk:

अगर आप अपने बच्‍चे को पर्याप्‍त दूध नहीं पिला पाती हैं तो यह वाकही में आपके लिये बहुत बडी़ चिंता का विषय है। ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे, तनाव, डीहाइड्रेशन, अनिद्रां आदि। लेकिन ऐसी कइ प्रभावशाली विधियां हैं 



जिससे आप ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढा सकती हैं। आपको केवल अच्‍छे प्रकार का आहार खाना होगा जो कि बच्‍चे पर कोई बुरा प्रभाव ना डाले। इन्‍हें अपने रोजाना के खाने में प्रयोग करें और ब्रेस्‍ट मिल्‍क की सपलाई को बढाएं। 

ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने वाले 10 प्राकृतिक उपाय:


खाएं यह आहार- 
1. मेथी- इसमें आयरन, विटामिन, कैल्‍शियम और मिनरल पाए जाते हैं। मेथी का प्रयोग कई पुराने सालों से किया आता जा रहा है और रिसर्च भी इस बात से सहमत है। लेकिन इसे ज्‍यादा ना खाएं वरना डीहाइड्रेशन भी हो सकता है। मेथी को कच्‍चा खाने की बजाए इसको सब्‍जी में डाल कर खाएं। 

2. तुलसी- इसको खाने से ना केवल बीमारियां ठीक की जा सकती हैं बल्कि ब्रेस्‍ट मिल्‍क भी बढाया जा सकता है। इसके अंदर विटामिन के पाया जाता है जो ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाता है। आप इसे सूप में या फिर कच्‍चा शहद के साथ खा सकती हैं। 

3. करेला- इसके अंदर विटामिन और मिनरल अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है, जिससे ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने की क्षमता बढ जाती है। यह स्‍त्री में लैक्‍टेशन सही करता है। करेला बनाते वक्‍त हल्‍के मसालों का प्रयोग करें जिससे यह आसानी से हजम हो सके। 

4. लहसुन- इसे खाने से भी दूध बढने की क्षमता बढती है। कच्‍चा लहसुन खाने से अच्‍छा होगा कि आप उसे मीट, करी, सब्‍जी या दाल में डाल कर पका कर खाएं। अगर आप लहसुन को रोजाना खाना शुरु करेंगी तो यह आपको जरुर फायदा पहुंचाएगा। 

5. मिल्‍क प्रोडक्‍ट- ऐसी चर्बी जो कि घी, बटर या तेल से मिलती हो, वह ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने में बहुत कारगर होती है। यह शरीर को बहुत शक्‍ति प्रदान करते हैं। आप इन्‍हें चावल या रोटी के साथ प्रयोग कर सकती हैं। चाहें तो सब्‍जी बनाते वक्‍त भी एक चम्‍मच घी डाल कर उसे पका सकती हैं। सुडौल बनना चाहती हैं? 

6. मेवा- बादाम और काजू जैसे मेवे ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढाने में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह विटामिन, मिनरल और प्रोटीन में काफी रिच होते हैं। अच्‍छा होगा कि आप इन्‍हें कच्‍चा ही खाएं।

Tuesday, 1 November 2016

गर्भावस्था में देखभाल कैसे करें:

चिकित्सा :-
1. तिल:धुले हुए तिल और जौ20-20 ग्राम की मात्रा में कूटछानकर इसमें लगभग 40 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसकी 5 ग्राम की मात्रा सुबह शहदके साथ सेवन करने से गर्भ सुदृढ़ होता है।



2. पीपल: पीपलकी जटा, समुद्रफल और सालम मिश्रीसभी को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर तीन दिनों तक सुबह-शाम दूधके साथ पीना चाहिए। इससे गर्भाशयपुष्ट हो जाता है और गर्भवती महिला को कोई दर्द नहीं होता है।

Pregnancy Care Tips In Hindi - Baby Health Guide:

3. बेलगिरी: बेलगिरी20 ग्राम को चावलोंके धोवन में पीसकर उसमें थोड़ी सी चीनीमिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से गर्भवती स्त्री को उल्टी, पतले दस्त, मीठा-मीठा बुखारचढ़ना, हाथ-पैरों की थकावट होनाआदि सभी विकार दूर हो जाते हैं।

4. मुलेठी:गर्भाशय शिशु सूखता जा रहा हो तो ऐसी अवस्था में गंभारीफल, मुलेठीऔर मिश्री को समान मात्रा 15-20 ग्राम मात्रा को सुबह-शाम दूध में उबालकर नियमित गर्भवती महिला को पिलाना चाहिए।

5. गर्भाशय की कमजोरी:गर्भ नहीं ठहरता हो या गर्भस्राव हो जाता हो तो ऐसी स्थिति में कुछ हफ्ते ताजे सिंघाड़ेखाने से लाभ होता है। सिंघाड़े की लपसी गर्भवती स्त्री को दिन में दो से तीन बार दूध के साथ देने से रक्तस्राव रुक जाता है जिससे गर्भाशय की कमजोरी दूर हो जाती है।

Friday, 26 August 2016

आजकल की भाग-दौड़ भरी लाइफ में अनयिमित महावारी होना बिल्‍कुल ही आम बात हो चुकी है। अचानक वजन बढ़ना या फिर कम होना, स्‍मोकिंग करना, कॉफी, दवाइयां और खराब खान-पान की वजह से यह समस्‍या पैदा होती है। भावनात्मक तनाव भी आपके शरीर में हार्मोन में परिवर्तन, आपकी माहवारी को अनियमित बनाने के लिए कारण हो सकता है।


● किसी महीने में महावारी हुई तो किसी महीने में टल गई, ऐसे में शरीर को भी नुकसान होता है। आइये जानते हैं कि अनियमित महावारी से बचने के लिये प्राकृतिक रूप से कौन-कौन से तरीके हैं।


 Top 10 Tips to avoid irregular premenstrual


》 टिप्‍स जो करे पीरियड को रेगुलर -

1) इस समस्‍या को ठीक करने के लिये सहिजन, तरोई, सफेद कद्दू, तिल का बीज और करेला का नियमित सेवन करें। रोजाना दिन में दो बार करेले की जड़ का काढा पीजिये और देखिये कि यह प्राकृतिक तरीके से कैसे ठीक हो जाता है।

2) कब्‍ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ से दूर रहें खास कर के महावारी के आखिरी चक्र में। खट्टे खाघ पदार्थ, फ्राइड फूड और प्रोटीन से भरी दालों का सेवन ना करें।

3) अपनी डाइट में मछली का प्रयोग करें क्‍योंकि इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो कि मासकि चक्र के दौरान बहुत ही लाभकारी होता है।

4) बैंगन, मीट, पीला कद्दू और आलू को पीरियड्स शुरु होने के एक हफ्ते पहले ना खाएं।

5) सौंफ खान से पीरियड्स टाइम पर आते हैं। यहां तक की तिल का तेल भी बहुत ही लाभकारी होता है। मासिक चक्र शुरु होने के एक हफ्ते पहले सौंफ का बना काढा लें।

6) तिल के बीज को जीरा पाउडर और गुड के साथ मिला कर खाएं। इससे पीरियड टाइम पर होगा।

7) रोजाना अंगूर का जूस पीने से भी आपको अनियमित महावारी से मुक्‍ती मिलेगी।

8) रोजाना व्‍यायाम करें जिससे शरीर का टंपरेचर सामान्‍य बना रहे और अनियमित महावारी कंट्रोल में रहे।

9) कच्‍चा पपीता खाइये। यह एक प्राकृतिक तरीका है जो कि ज्‍यादातर महिलाएं पीरियड को टाइम पर लाने के लिये और प्रेगनेंसी से मुक्‍ती पाने के लिये करती हैं।

अनियमित माहवारी से बचने के लिये घरेलू उपचार  Top 10 Home Remedies for Irregular Periods

Tuesday, 23 August 2016

ऐसी महिलाएं जो अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती है, उनके लिये प्राकृतिक गर्भपात एक आसान तरीका है। लेकिन यह केवल तभी किया जा सकता है, जब आपका पहला महीना चल रहा हो। कई जड़ी बूटियों के सेवन से प्राकृतिक गर्भपात बिना किसी रिस्‍क के हो जाता है और इससे मां को कोई तकलीफ या दिक्‍कत भी नहीं आती। ऐसी महिलाएं जिन्‍हें अस्‍थमा, हाई ब्‍लड प्रेशरा, मधुमेह, मिर्गी और किडनी की समस्‍या है, उन्‍हें इस गर्भपात से बचना चाहिये। आइये और जानते हैं इस विधि के बारे में-





जानें प्राकृतिक गर्भपात करने के घरेलू तरीके:

1. खुद को गर्भपात के लिये तैयार करना होता है। कुछ ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जैसे अजवायन, अनन्नास और विटामिन सी, जिनके सेवन से शरीर गर्भपात के लिये तैयार हो जाता है। यहां तक की कुछ ऐसे तेल भी होते हैं जिन्‍हें ग्रीवा पर मालिश करने और तेल की गोली बना कर खाने से यह काम हो जाता है।

2. एक चम्‍मच फ्राई किये हुए तिल के दाने और शहद को मिला कर हर रोज खाली पेट खाएं। कटे हुए पपीते और कटहल को खाने से अनचाहा गर्भ नहीं ठहरता। इसको खाने से भारी मासिक होता है। साथ ही तिल के तेल से ग्रीवा पर मालिश करने से पीरियड में दर्द नहीं होता।

3. इसी तरह से कई चाइनीज हर्ब ऐसी होती हैं जो प्राकृतिक रुप से गर्भपात करवाने में सक्षम होती हैं। एंजिलिका सिनेसिस नामक चाइनीज पौधे की जड़ को पानी और शहद के साथ खाने से काफी हैवी ब्‍लीडिंग होती है।

4. पेनिरोयल नामक जड़ी बूटी के तेल या फिर उसकी चाय को प्रतिदिन 3-6 गोली का सेवन करने से इस काम में फायदा पहुंचता है। इसको लेने से महिला को थकान, चक्‍कर और पसीना आता है। जिन महिलाओं को मूत्र संबधि कोई समस्‍या है, उन्‍हें इसके सेवन से बचना चाहिये।

5. कुछ सिंपल एक्‍सर्साइज, कार्न डाइट, हॉट बाथ और ऑर्गैज़म पा कर आप मिसकैरेज को अंजाम दे सकती हैं।

Saturday, 20 August 2016

मां बनना बड़ा ही सुखद एहसास होता है, लेकिन उसके बाद जब शरीर भारी हो जाता है तब बड़ी परेशानी होती है। आप बहुत प्रयास करती हैं कि आपका वजन कम हो जाए लेकिन आपको केवल नाकामयाबी के और कुछ हाथ नहीं लगता। लेकिन अगर आप अपनी डाइट में परिवर्तन ला कर रेगुलर एक्‍सरसाइज करें तो जरुर फरक पडे़गा।


● आपको ध्‍यान में रखना होगा कि वजन तुरंत नहीं घटेगा बल्कि इसके लिये कुछ महीने लगेंगे। आपको हर हफ्ते का प्‍लान बना कर चलना होगा, कि आप हर हफ्ते कम से कम 1 किलो वजन तो कम कर के ही रहेंगी। अगर आप ऐसा करने में कामयाब रहीं तो आप अपना वजन 6-8 महीने में ही कम कर लेंगी। अगर आपकी डिलवरी आपरेशन से हुई है, तो इस मामले में आपको अपने डॉक्‍टर से सलाह ले कर वजन कम करने की सोचनी चाहिये।


Top 10 Tips for Loss Weight After Pregnancy:

》 यहां पर कुछ तरीके दिये गए हैं, जिनको आजमा कर आप अपने वजन पर काबू पा सकती हैं-

1) कोई भी फिटनेस प्रोग्राम शुरु करने से पहले हमेशा अपनी डॉक्‍टर की सलाह लें।

2) रोजाना 10 से 12 ग्‍लास पानी कम से कम पिएं।

3) ; स्‍नैक में हमेशा पौष्‍टिक चीज़ खाएं जैसे, किशमिश, पॉपकार्न, गेहूं के बिस्‍कुट और खूब सारे मेवे।

4) साबुत अनाज से बना ब्रेड, पास्‍ता आदि खाएं ना कि सफेद ब्रेड।

5) कभी भी बाजार के उन प्रोडक्‍ट्स से प्रभावित ना हों , जिसपे नॉन फैट लिखा हो। ज्‍यादातर प्रोडक्‍ट में कैलोरीज़ और मोटापा बढाने वाले तत्‍व मिले होते हैं।

6) अपने आपको फास्‍ट फूड और सड़क किनारे का भोजन खाने से बचाएं।

7) डिलवरी के बाद हमेशा लाइट एक्‍सरसाइज से शुरुआत करनी चाहिये। अपने बच्‍चे को रोजाना 10 मिनट की वॉक पर ले कर जाएं और धीरे-धीरे अपनी वॉक को 10 मिनट से 20 मिनट की करें। इससे आपका बच्‍चा भी खुश रहेगा और आपकी वॉक भी हो जाएगी।


8) अगर आप ने ऑफिस जाना शुरु कर दिया है तो अपनी कार या स्‍कूटी को पार्किंग वाली जगह से कुछ दूर पर खड़ा करें और पैदल चलना शुरु करें। इसके अलावा लिफ्ट लेने की बजाए हमेशा सीढ़ियों का प्रयोग करें।

9) ब्रेस्‍टफीडिंग करवाने से 500 कैलोरी रोजाना बर्न होती है। इसलिये अगर आप अपने शिशु को ज्‍यादा देर तक स्‍तनपान करवाएंगी, आपकी कैलोरी उतनी ही ज्‍यादा बर्न होगी।

गर्भावस्था के बाद पेट का मोटापा कम करने के उपाय | Top 10 Tips for Loss Weight After Pregnancy

Sunday, 14 August 2016

कस्तूरी 2 रत्ती, अफीम, केसर, जायफल प्रत्येक एक एक ग्राम भांग के पत्ते 250 मिलीग्राम तथा पुराना गुड़, सफेद कत्था प्रत्येक छह ग्राम, सुपारी गुजराती 3 नग एवं लौंग 4 नग लें। सभी औषधियों को कूट छानकर जंगली बेर के समान 10 गोलियाँ बनाकर मासिकधर्म के पश्चात् एक एक गोली सुबह शाम 5 दिन खिलायें।


नोट – इस योग के प्रयोग से 40-50 वर्ष की स्त्री (जिसे मासिक आ रहा हो) का भी बांझपन रोग दूर होकर गर्भ ठहर जाया करता है।


यदि प्रथम मास के प्रयोग से गर्भ न ठहरे तो यह प्रयोग जब तक गर्भ न ठहरे दूसरे या तीसरे मास तक कर सकते है। मोर के पंख के बीच वाले भाग (गहरा नीला) 9 नग लेकर गरम तवे पर भूनकर, बारीक पीसकर पुराने गुड़ में खूब मिलाकर नौ गोलियाँ बना लें। मासिक धर्म आने के दिनों में प्रतिदिन एक गोली 9 दिनों तक प्रातः सूर्योदय से पूर्व, दूध के साथ सेवन करायें। इसके पश्चात् दम्पत्ति सहवास करें तो निश्चित गर्भ ठहर जायेगा। यदि प्रयोग प्रथम मास में असफल रहे तो

पुनः दूसरे या तीसरे मास प्रयोग करें। मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन 8 दिनों तक असली नागेश्वर का चूर्ण 3-3 ग्राम गाय के घी में मिलाकर सेवन करने से मात्र पहले या दूसरे महीने में ही अवश्य गर्भ ठहर जाता है। औषधि का सेवन प्रतिदिन दो बार सुबह शाम करायें।

शिवलिंगी के बीज, नागौरी असगन्ध, असली नागकेशर, मुलहठी, कमलकेसर, असली वंशलोचन प्रत्येक 10-10 ग्राम, मिश्री 100 ग्राम लें। सभी औषधियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें।

मासिकधर्म के पश्चात् प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में बछड़े वाली गाय के दूध के साथ प्रयोग करने से तथा स्त्री पुरूष का एक माह पूर्व से ब्रह्मचर्य का पालन करने तथा औषधि प्रयोग के 12वीं रात्रि सहवास करने से अवश्य गर्भ रहता है। एक माह में एक बार ही सहवास करें। अधिक से अधिक चार माह के प्रयोग से ही अवश्य गर्भ ठहर

Thursday, 11 August 2016

अगर आप भी चाहती हैं नॉर्मल डिलीवरी तो करें यह उपाय:



नार्मल डिलिवरी सिजेरियन डिलिवरी से ज्यादा सही होती है। क्योंकि सिजेरियन डिलिवरी करवाने पर स्ट्रैच मार्क्स आते है। साथ ही सिजेरियन डिलिवरी के बाद कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जबकि नार्मल डिलिवरी में ऐसी कोई भी बड़ी समस्या नहीं आती। इसलिए ज्यादातर गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी नहीं, बल्कि नार्मल डिलिवरी करवाना पसंद करती हैं।


कैसे हो नार्मल डिलिवरी:

1) अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बेहद पीड़ा सहनी होती है और यह आसान नहीं होता। अगर आप कमजोर हैं और आप में खून की कमी है तो आपके लिए यह काफी मुशकिल होगा। इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ध्यान रखें। ताकि आपको उस वक्त कम से कम तकलिफ हो।

2) अच्छा भोजन करें
गर्भवस्था के दौरान आपने डॉक्टर के कहे अनुसार ही भोजन करें। नार्मल डिलिवरी में आपके शरीर से दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड जाता है। इसलिए ताकत और पोषण के लिए खाने में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें।

3) शरीर में पानी की कमी से बचें
आपके गर्भाशय में शिशु एक तरल पदार्थ से भरी हुई झोली एमनियोटिक फ्लयूड में रहता है। जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना बहुत जरुरी है। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होती।

4) पैदल चलें और टहलते रहें
गर्भवति महिलाओं के लिए आराम जरूरी है, लेकिन इसका अर्थ अपने काम से जी चुराना नहीं है। कोशिश करें आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादा फर्क न आए। दफ्तर और 

घर के काम सामान्य रूप से ही करती रहें। पैदल चलना और टहलना आपके लिए अच्छा रहेगा। बाजार तक जाना हो तो कार या किसी वाहन के स्थान पर पैदल ही जाएं तो बेहतर। ऑफिस में भी जरा घूम-फिर लिया कीजिए।

5) एक्ससाइज
अगर आप प्रेगनेंट होने के पहले से ही रोजाना एक्ससाइज करती आ रहीं हैं, तो नार्मल डिलिवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भवस्था के दौरान आप कोई फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर सकती है, जो आपकी मासपेशियों को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षण दे सके। प्रसव के दौरान मजबूत मासपेशियों का होना बहुत जरूरी है।

इन उपायों को आजमाने से आपको स्वस्थ गर्भावस्था तो मिलेगी ही साथ ही आपका प्रसव भी काफी आरामदेह तरीके से हो सकेगा। याद रखिए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का कोई विकल्प नहीं है। इससे गर्भावस्था के दौरान आप स्वस्थ रहती हैं और आपका बच्चा भी स्वस्थ पैदा होता है।

जाने कैसे होगी नार्मल डिलिवरी | 5 Easy Tips for Normal Delivery | #Pregnancy Tips For Normal Delivery

Categories

Powered by Blogger.

Social Icons

.

Featured Posts

.

Follow us Facebook

Health Beauty Tips

Popular Posts