हम क्यों मनाते हैं बाल दिवस ? | Happy Children Day 2017

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Friday, 14 July 2017

अनुलोम विलोम प्रणायाम करने से लाभ:

अनुलोम –विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहते है।


अनुलोम-विलोम प्रणायाम, जानें लाभ और करने की सही विधि:

● अनुलोम-विलोम को रोज करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को हर उम्र के लोग कर सकते हैं। वृद्धावस्था में अनुलोम-विलोम प्राणायाम योगा करने से गठिया, जोड़ों का दर्द व सूजन आदि शिकायतें दूर होती हैं।

Anulom-Vilom Pranayama Steps And Benefits

अनुलोम विलोम कसे करावे:

● दरी व कंबल स्वच्छ जगह पर बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
● फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें।
● अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें।
● इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। 
● 10 मिनट से अधिक समय तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
● इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें।
लाभ :- 
1) इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं।
2) रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनतेहैं।
3) इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है।
4) इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
5) अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है।
6) अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है।
इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है।
7) अनुलोम-विलोम प्राणायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं और सुविधानुसार इसकी अवधि तय की जा सकती है।
सावधानियां :- 
● कमजोर और एनीमिया से पीड़ित रोगियों को इस प्राणायाम के दौरान सांस भरने व छोड़ने में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।
● कुछ लोग समय की कमी के चलते जल्दी-जल्दी सांस भरने और निकालने लगते हैं। इससे वातावरण में फैला धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर अनेक प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है।
● प्रणायाम के दौरान सांस की गति इतनी सहज होनी चाहिए। प्राणायाम करते समय स्वयं को भी सांस की आवाज नहीं सुनायी देनी चाहिए !

Sunday, 2 April 2017

Yoga Breathing Exercise Kapalbhati Benefits:


योग के ही कुछ प्राणायाम और ध्यान की तकनीक को मिलाकर ही आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने सुदर्शन क्रिया और नव संन्यास तथा कम्यून कांसेप्ट के प्रणेता ओशो ने सक्रिय ध्यान की विधियाँ विकसित की हैं। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में ‍विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान है।

कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है।


कपालभाती प्राणायाम के फायदे:

विधि: 
सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।

● Timing = 15min in morning and 15 min evening in empty stomach. 
लाभ :
● यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियाँ और आँखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। 
● दाँतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। 
● शरीर की चरबी कम होती है। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है।
● शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।
● थायराइड को कम करता है।
● पेट का मोटापा कम करता है।
● कब्ज खत्म करने में मदद करता है। । पाचन तंत्र को बढता है।
● स्किन एलर्जी और संक्रमण का इलाज करता है।

Saturday, 26 November 2016

Kapalbhati Kaise Kare Aur Uske Fayde:

▪ कपालभाती प्राणायाम को जीवन की संजीवनी कहा जाता है।
▪ कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है।
▪ सांसों को अंदर-बाहर धक्का देना होता है, सांस लेने से बचें।


▪ इससे चेहरे पर चमक आती है और शरीर निरोग रहता है।
● योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम को सबसे कारगर माना जाता है। 

कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। योग के आसनों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली एक रोचक प्रक्रिया है। दिमाग आगे के हिस्‍से को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है।
 

कपालभाती प्राणायाम करने के सही तरीके और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।

कैसे करें यह आसान :- 
कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। 

ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। 

इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुं‍डलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्‍मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।

इस आसन के फायदे :- 
यह प्राणायाम आपके चेहरे पर कांति यानि चमक लाता है। इससे दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की अतिरिक्‍त चर्बी कम होती है खासकर पेट की, यानी यह वजन कम करने में भी कारगर आसन है। इसे अलावा इसके नियमित अभ्‍यास करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती है।

कपालभाती प्राणायाम का सबसे ज्याद प्रभाव पड़ता है शरीर और मन पर, क्‍योंकि यह मन से नकारात्‍मक तत्‍वों को दूर कर सकारात्‍मकता लाता है। थायराइड, चर्म रोग, आंखों की समस्‍या, दांतों की समस्‍या, महिलाओं की समस्‍या, डायबिटीज, कैंसर, हीमोग्‍लोबिन का स्‍तर सामान्‍य करना, किडनी को मजबूत बनाने जैसे सभी तरह की समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता होती है। यानी यह एक ऐसा आसन है जो सभी तरह की समस्‍याओं का उपचार करता है।

थोड़ी सावधानी :- 
कपालभाती व्‍यायाम सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं, लेकिन जिन लोगों को सांस संबंधी समस्‍या हो उनको चिकित्‍सक की सलाह के बाद ही यह आसन करना चाहिए।

कपालभाती आसन एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या बनायें और निरोग रहें।

कपाल भाती प्राणायाम के लाभ
1) बालो की सारी समस्याओँ का समाधान प्राप्त होता है|
2) चेहरे की झुरीयाँ,आखो के निचे के डार्क सर्कल मिट जयेंगे|
3) थायराँइड की समस्या मिट जाती है|
4) सभी प्रकारके चर्म समस्या मिट जाती है|
5) आखो की सभी प्रकारकी समस्या मिट जाती है,और आखो की रोशनी लौट आती है|
6) दातों की सभी प्रकारकी समस्या मिट जाती है, और दातों की खतरनाक पायरीया जैसी बीमारी भी ठीक हो जाती है|
7) कपालभाती प्राणायाम से शरीर की बढी चर्बी घटती है, यह इस प्राणायाम का सबसे बडा फायदा है|
8) कब्ज, सीडिटी, गँस्टीक जैसी पेट की सभी समस्याएँ मिट जाती हैं |
9) युट्रस(महीलाओ) की सभी समस्याओँ का समाधान होता है|
10) डायबिटीस संपूर्णतया ठीक होता है| कोलेस्ट्रोल को घटाने में भी सहायक है| सभी प्रकार की एलरजियाँ मिट जाती है|
11) सबसे खतरनाक कँन्सर रोग तक ठीक हो जाता है ।
12) शरीर में स्वतः हिमोग्लोबिन तैयार होता है|
13) शरीर मे स्वतः कँल्शीयम तैयार होता है| किडनी स्वतः स्वच्छ होती है, डायलेसिस करने की जरुरत नहीं पडती

Thursday, 17 November 2016

योग के ही कुछ प्राणायाम और ध्यान की तकनीक को मिलाकर ही आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर ने सुदर्शन क्रिया और नव संन्यास तथा कम्यून कांसेप्ट के प्रणेता ओशो ने सक्रिय ध्यान की विधियाँ विकसित की हैं। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में ‍विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान है



कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है।

》 विधि : सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।

》लाभ : 
यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियाँ और आँखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। दाँतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की चरबी कम होती है। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है। शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।

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Monday, 31 October 2016

क्‍या आप कभी कभी ऐसा नहीं सोचती कि काश कोई ऐसी एक्‍सरसाज होती जो आपके चेहरे को एक बार में ही निखार सकती? रोज जिम जा कर घंटो पसीना बहा कर भी शरीर पर उतना फरक नहीं दिखता जितना कि आप इन वर्कआउट से खुद को निखार सकती हैं। 

अगर आपको चमकदार और झर्रियों रहित चेहरा चाहिये तो अपनाएं हमारे दिये हुए व्‍यायाम। ये व्‍यायाम करने मे बिल्‍कुल भी कठिन नहीं हैं।


Exercises which maintain tight face and bright:

आपका चेहर तभी खूबसूरत और स्‍वस्‍थ दिख सकता है जब उसमें ब्‍लड का सर्कुलेशन अच्‍छा हो। क्‍योंकि ब्‍लड सर्कुलेशन से चेहरे पर ग्‍लो आता है। तो देर किस बात की है 

अब ब्‍यूटी पार्लर पर पैसे खर्च करना बंद करिये और अपनाइये इन व्‍यायामों को।

》 ऐसे व्‍यायाम जो चेहरा बनाए टाइट और चमकदार:

2) हेडस्‍टैंड :-
यह एक सिंपल सा वर्कआउट है जो दिखने में थोड़ा कठिन लगता है मगर एक-दो बार के अभ्‍यास से इसे आसानी से किया जा सकता है। आप एक दीवार का सहारा ले कर इसे कर सकते हैं। इसे कभी भी अकेले ना करें, कोशिश करें कि आपके साथ एक दोस्‍त या घर का कोई सदस्‍य हो। यह वर्कआउट शरीर में खून के बहाव को तेज करेगा जिससे चेहरा निखरेगा। यह त्‍वचा से झुर्रियों को मिटाने में मददगार है।

3) पसीना बहाने वाला वर्कआउट :-
ऐसा कोई व्‍यायाम करें जिसमें शरीर से खूब पसीना निकले। आप के लिये एरोबिक्‍स या फिर स्‍विमिंग अच्‍छी रहेगी क्‍योंकि इससे पसीना निकलता है। इन व्‍यायामों से शरीर लचीला और त्‍वचा चमकदार बनती है।

10 Minute Facial Exercises & Massage That Tighten & Lift Your Skin:

4) योगा :-
योगा में ऐसे कई आसन हैं जो चेहरे के लिये काफी अच्‍छे माने जाते हैं। इन आसनों को योग टीचर से सीखें और अपने चेहरे को चमकदार और सुंदर बनाने में मदद करें।

5) पुश अप :-
तुरंत वॉर्मअप होने के लिये आप 25 पुश अप्‍स एक साथ कर सकते हैं। अपने शरीर को पुश अप पोजीशन में 30 सेकेंड के लिये होल्‍ड कर के रिलीज़ करें। ऐसा व्‍यायाम रोजाना करने से चेहरे की त्‍वचा अच्‍छी तहती है।
6) मुस्‍कुराना :-
मुस्‍कुराने से तनाव झट से दूर होता है और मूड भी अच्‍छा हो जाता है। साथ ही इससे आपके चेहरे की मासपेशियां खिंचती हैं। रोजाना कुछ सेकेंड की मुस्‍कान से आप और भी ज्‍यादा सुंदर दिख सकती हैं।

ऐसे व्‍यायाम जो चेहरा बनाए टाइट और चमकदार | Exercises which maintain tight face and bright | Facial Massage & Exercises That Tighten & Lift Your Skin

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